Wednesday, April 22, 2009

Tuesday, April 21, 2009

Monday, April 20, 2009

३८ नए चेहरे पर दांव


नो पार्किंग

नो पार्किंग

कचरे में खिला कमल

कचरे में

खिला कमल

अस्पताल में डॉक्टर साहब


अस्पताल में
डॉक्टर साहब

खेतों में चावल उगेगा


खेतों में
चावल उगेगा

भगवान से वोट की


चर्चा चुनावी
भगवान से
वोट की अपील

रायपुर में पानी की समस्या

रायपुर में पानी

की समस्या

बीएसपी के आगे झुक गयी सरकार

बीएसपी के

आगे झुक

गयी सरकार




खरसिया में सबसे अधिक बस्तर में सबसे कम मतदान

खरसिया विस में

सबसे

अधिक मतदान

बस्तर विस में

सबसे कम मतदान

बाप ब्राहमण औलाद ओबीसी


नियम में देर का अंधेर...


हर्बल लिक्विड से मच्छर मारने का दावा


बंजारी वाले बाबा की दरगाह


की दरगाह
रायपुर

Saturday, April 18, 2009

सरकारी भवनों की सुरक्षा भगवान भरोसे

सरकारी भवनों

की

सुरक्षा

भगवान

भरोसे

संसद पहुंचेंगे अपराधी


संसद पहुंचेंगे अपराधी


63 आपराधिक रिकार्ड
वाले नेता भी चुनाव मैदान में


देश के प्रमुख राजनीतिक दलों ने लोकसभा चुनाव में 63 ऐसे उश्मीदवार उतारे हैं जिन पर अतीत में आपराधिक आरोप लग चुक हैं या फिर वे किसी न किसी मामले में आरोपी हैं। चुनाव का पर्यवेक्षण कर रहे स्वयंसेवी संगठनों के समूह 'नेशनल इलेक्शन वाचÓ (एनईडब्ल्यू) के मुताबिक भारतीय जनता पार्टी ने जहां 28 आपराधिक आरोप वाले उम्मीदवार उतारे हैं वहीं बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने 13 समाजवादी पार्टी (सपा) व कांग्रेस ने पांच-पांच और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी-माक्र्सवादी (माकपा) ने दो ऐसे प्रत्याशियों को टिकट दिया है। बाकी अन्य पार्टियों के उम्मीदवार हैं। विभिन्न न्यायालयों ने पांच सजायाफ्ता राजनीतिज्ञों पर अप्रैल-मई में होने वाले लोकसभा चुनाव लडऩे पर रोक लगा दी है। इनके नाम है पप्पू यादव, मोहम्मद शहाबुद्दीन, सूरजभान सिंह, आनंद मोहन और संजय दत्त। समूह ने 278 उम्मीदवारों द्वारा दिए गए हलफनामों का अध्ययन करने के बाद यह निष्कर्ष निकाला है। समूह के अनिल बैरवाल ने कहा कि ''278 में 63 उम्मीदवारों का आपराधिक अतीत है। उनमें से 39 के खिलाफ हत्या, हत्या के प्रयास, डकैती, चोरी, अपहरण जैसे गंभीर आरोप हैं। लोकसभा चुनाव से पहले राजनीति के अपराधीकरण का आंकड़ा खंगालने पर जो तस्वीरें सामने आई वो हैरान करने वाली थी। एक भी ऐसी राष्ट्रीय पार्टी नहीं थी, जिसमें अपराधी किस्म के सांसद न हों। कांग्रेस के कुल 145 सांसद हैं जिनमें से 26 सासंदों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं। दूसरी तरफ बीजेपी के कुल 138 सासंद है जिनमें से 29 पर आपराधिक मामले दर्ज हैं। वहीं झारखंड मुक्ति मोर्चा के कुल 5 सांसद है जिनमें सभी पाचों सासंदो पर आपराधिक मामले दर्ज हैं। समाजवादी पार्टी के कुल 36 सांसद हैं जिनमें 11 सासंदो के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं। साथ ही साथ बीएसपी के कुल 19 सांसद हैं जिनमें 8 सासंदों पर आपराधिक मामले दर्ज है। वहीं लेफ्ट के कुल 53 सांसद 53 हैं, जिनमें से 10 सासंदों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं। शिवसेना के कुल 12 सांसद हैं जिनमें 9 के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं। हैरानी की बात तो यह है कि इनमें से 63 उम्मीदवार क्रिमिनल रिकॉर्ड वाले हैं। 39 उम्मीदवारों के खिलाफ तो हत्या, हत्या की कोशिश जैसे संगीन मामले दर्ज हैं। इन उम्मीदवारों में 14 बीजेपी के, 13 बीएसपी से, कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और सीपीएम के 2-2 उम्मीदवार शामिल हैं।

२५ केन्द्रों में पुनर्मतदान

२५ केन्द्रों में पुनर्मतदान


क्या कहें कि आज बाल -दिवस है

क्या कहें कि

आज

बाल -दिवस है

जहरीला कुँआ

जहरीला कुँआ

Thursday, April 16, 2009

हर आठवां प्रत्याशी करोड़पति


हर आठवां प्रत्याशी करोड़पति

15वीं लोकसभा चुनाव के नतीजों का ऊंट किस करवट बैठेगा, यह तो भविष्य के गर्भ में छुपा हुआ है, लेकिन यह शीशे की तरह साफ है कि देश में करोड़पति नेताओं की संख्या तेजी से बढ़ रही है। 16 अप्रैल को होने वाले पहले चरण के चुनाव में डटे लगभग 1700 प्रत्याशियों में से 226 के पास एक करोड़ से ज्यादा की संपत्ति है। यानी हर आठवां प्रत्याशी करोड़पति है। जब कि 2004 के चुनाव में हर ग्यारहवां उम्मीदवार करोड़पति था। चुनाव सुधारों का अभियान चलाने वाली संस्था एसोसिएशन फार डेमोक्रेटिक रिफार्म्स [एडीआर] ने पहले चरण में उतरे उम्मीदवारों के हलफनामें के विश्लेषण के बाद यह नतीजा निकाला है। एडीआर के अनुसार चुनावों में कामयाबी हासिल करने में धन की भूमिका बढ़ती जा रही है। यह चिंताजनक है। मसलन, दिल्ली में पिछले विधानसभा चुनाव में पांच करोड़ रुपये से ज्यादा की हैसियत वाले 40 उम्मीदवारों ने मैदान में ताल ठोंकी और उनमें से 13 को विजयश्री मिली। जबकि पांच लाख रुपये से कम संपत्ति वाले 200 उम्मीदवारों में से किसी को जीत नसीब नहीं हुई। आंकड़ों के अनुसार सबसे ज्यादा करोड़पति उम्मीदवार आंध्र प्रदेश में हैं। इसके बाद उत्तर प्रदेश का नंबर आता है। जहां तक पार्टियों का सवाल है तो कांग्रेस में सबसे ज्यादा 45 उम्मीदवार एक करोड़ रुपये से ज्यादा की हैसियत रखते हैं। दूसरे नंबर पर है भाजपा, जिसके 30 उम्मीदवार करोड़पति हैं।

बसपा उम्मीद्वार के पास 600 करोड़ की संपत्ति

वेस्ट दिल्ली से बीएसपी उम्मीदवार दीपक भारद्वाज अब तक के सबसे अमीर उम्मीदवार हैं। उनके पास 600 करोड़ रुपये की संपत्ति है। उन्होंने हलफनामे में बताया है कि उनके पास 600 करोड़ रुपये संपत्ति है। दीपक भारद्वाज पश्चिमी दिल्ली से बीएसपी उम्मीदवार हैं। इस साल लोकसभा चुनाव लड़ रहे प्रत्याशियों की अमीरी नए रेकॉर्ड बना रही है। दीपक से पहले गुजरात के सुरेंद्र नगर से चुनावी मैदान में उतरे खीमजी पटादिया अब तक के सबसे रईस प्रत्याशी थे। गुरुवार को उन्होंने नॉमिनेशन भरने के दौरान अपनी संपत्ति का खुलासा किया। 53 साल के पटादिया 514 करोड़ रुपये के मालिक हैं। रईस प्रत्याशियों की रेस में विजयवाड़ा से कांग्रेस उम्मीदवार एल. राजगोपाल अब तीसरे नंबर पर आ गए हैं। उनके पास 299 करोड़ रुपये की प्रॉपर्टी है। मुंबई के बिजनसमन पटादिया ने जो हलफनामा दाखिल किया है, उसके मुताबिक, उनकी प्रॉपर्टी मुख्य रूप से जूलरी और रिअल एस्टेट के बिजनस से कमाई हुई है। उनके पास 255 करोड़ रुपये की चल संपत्ति और 259 करोड़ रुपये की अचल संपत्ति है। पटादिया एक अनजान से संगठन क्रांतिकारी जय हिंद सेना के संस्थापक हैं। पटादिया कॉलिज ड्रॉप आउट रहे हैं। उनका ताल्लुक सुरेंद्र नगर के सानोसारा गांव से है।
कहां कितने करोड़पति
राज्य---करोड़पतियों की संख्या
आंध्र प्रदेश-64 ,उत्तर प्रदेश-35 ,महाराष्ट्र -29,बिहार-23 ,झारखंड-7 छत्तीसगढ़-7 अरुणाचल प्रदेश-4 असम-4 जम्मू-कश्मीर-4 लक्षद्वीप-2 नगालैंड-1
किस पार्टी में कितने कुबेर
पार्टी---करोड़पतियों की संख्या
कांग्रेस-45 भाजपा-30 बसपा-23 निर्दलीय-22



Wednesday, April 15, 2009

awaaz: कब होगी जनता की जय...

awaaz: कब होगी जनता की जय...

१२४ सीटों के लिए १६ अप्रैल को पहले चरण का मतदान


१२४ सीटों के लिए
१६ अप्रैल को
पहले चरण
का मतदान

कब होगी जनता की जय...




मत दान ना करें

कब होगी जनता की जय...

61 साल हो गए लोगों को बिजली,

पानी और सड़क की लड़ाई लड़ते

देश की आजादी के पूरे 61 साल हो गए, लेकिन आज भी जनता अपनी जरुरतों को पूरा करने का अथक प्रयास करते हुए असामयिक मौत के शिकार हो जाते हैं। सत्ता की कमान संभालने वाले नेता हर चुनाव में जनता को खूबसूरत हंसीन सपने दिखाते हंैंं और सपनों के सहारे वे अपना उल्लू सीधा कर अपने उद्देश्य में सफल हो जाते हैं। जनमानस उनके झांसे में आकर गलत व्यक्ति को अपना बहुमूल्य वोट दे देती है और एक बार जनता के दरबार में जाने वाले नेता जीतने के बाद फिर पांच साल तक उस गली से गुजरते तक नहीं। लोगों की समस्याओं से उन्हें कोई सरोकार नहीं है। देश का कौन सा प्रदेश, प्रदेश का कौन सा शहर और शहर का कौन सा हिस्सा किन- किन समस्याओं से ग्रस्त है इसकी सुध लेने वाला कोई नहीं है। समस्या ग्रस्त लोग इसकी शिकायत भी करते हैं लेकिन उसका निबटारा होगा कि नहीं होगा और होगा तो कब तक होगा उसे इस बात की जानकारी नहीं रहती। फलस्वरूप जनता अभावग्रस्त जीवन जीने को मजबूर रहती है। देश में आज भी ऐसे अनेकों गांव हैं जहां पर ना तो बिजली पहुंच सकी है और ना ही सड़क। बिजली सड़क तो दूर की बात है सरकार का कोई नुमाइंदा भी इन इलाकों तक पहुंचने की जहमत नहीं उठाता। यही कारण है कि आज तक कई गांव और गांवों में रहने वाले हजारों-लाखों लोग नारकीय जीवन जीने को मजबूर हैं। भारत की सवा अरब जनसंख्या में आधी से अधिक जनसंख्या गरीबी रेखा के नीचे जीवन-यापन करती है। इनमें से कई परिवार ऐसे हैं जिन्हें पर्याप्त ढंग से दो वक्त का भोजन भी नसीब नहीं हो पाता। गरीबों के बच्चों की शिक्षा,स्वास्थ की कोई बेहतर व्यवस्था नही है। ऐसा नहीं है कि सरकार द्वारा गरीबों के उत्थान के लिए योजनाएं नहीं बनाई जाती,योजनाएं तो बनती है लेकिन इनका सही ढंग से क्रियान्वयन नहीं हो पाता और जिम्मेदार क्रियान्वयन एजेंसी या तो फ्राड काम करते हैं या करते हैं तो दस में से एक व्यक्ति तक ही उसका लाभ पहुंच पाता है। किसी भी समस्या के निबटारे के लिए स्थानीय जनप्रतिनिधि और अफसर जिम्मेदार होते हैं लेकिन वे इन समस्याओं का हल ईमानदारी के साथ नहीं करते और समस्याएं जस की तस बनीं रहती हैं। इसी तरह समय बीतता जाता है और समस्याओं का निराकरण करने वाले इसकी अनदेखी करते रहते हैं। परिणामस्वरुप निरंतर अनदेखी के कारण छोटी-छोटी समस्याएं आज विकराल रुप ले चुकी है। प्रकृति के साथ लगातार छेड़छाड़, मानव द्वारा प्राकृतिक संसाधनों का बलपूर्वक दोहन और प्रकृति की रक्षा के लिए कोई भी सकारात्मक पहल नहीं किए जाने के कारण आज देश में समस्याएं एवं कमी और कमी के अलावा कुछ भी नहीं है। हर वो वस्तु जो पूर्व में बहुतायत मात्रा में लोगों को सहजता से उपलब्ध हो जाया करती थी आज वो अधिक दाम और काफी तकलीफों के बाद प्राप्त हो रही है। सरकार द्वारा करोड़ों-अरबों रुपए का बजट खर्च करने के बाद भी लोगों तक प्राथमिक-बुनियादी सुविधाएं मुहैया नहीं हो पाई है। देश में लगातार बढ़ती बेरोजगारी,भूखमरी,गरीबी, आतंकवाद, नक्सलवाद, भ्रष्टाचार, अपराध, महंगाई एवं भारतीय संस्कृति का हास से आम लोगों का जीना दुश्वार हो गया है। सरकार की गलत नीतियों एवं सरकारी तंत्र में सत्तासीन भ्रष्ट और बेइमान अफसर व नेता इसके लिए जिम्मेदार होते हैं जो इन योजनाओं का पैसा खा जाते हैं और डकार तक नहीं लेते। इसलिए आम जनता अपने पुराने अनुभवों को ध्यान में रखते हुए पार्टी व नेताओं के प्रलोभन या झांसे में ना आकर ऐसे प्रत्याशी का चयन करें जो योग्य और ईमानदार हो। मतदाता अपने मतों का दान ना करें बल्कि मतों का प्रयोग देशहित को ध्यान में रखकर करे।

कब होगी जनता की जय

कब होगी जनता की जय

Tuesday, April 14, 2009

रमन ने 56 सभाएं ली

12 दिन 100 गांव में रोड
शो 56 सभाएं ली रमन ने
0 लोकसभा में रमन की धुआंधार प्रचार
० बीजेपी की राज्यभर में कुल 129 सभा

०12 दिन में 100 गांव में किया रोड शो

० सात स्टार प्रचारकों कीी 36 सभाएं
० प्रांतीय नेताओं ने 37 संभाएं ली
लोकसभा चुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी की ओर सेे स्टार प्रचारकों व प्रांतीय नेताओं की तुलना में प्रदेश के मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह ने प्रदेश में सबसे अधिक चुनावी सभाओं को संबोधित किया। उन्होंने प्रदेश में जहां सर्वाधिक 56 सभाओं को संबोधित किया, वहीं 12 दिन में 700 किमी. की दूरी तय करते हुए 100 गांवों में रोड शो किया। जबकि भाजपा के स्टार प्रचारकों में लालकृष्ण आडवाणी, राजनाथ सिंह, सुषमा स्वराज, नरेन्द्र मोदी, वेंकैया नायडू, हेमा मालिनी व रविशंकर प्रसाद ने कुल 36 चुनावी सभाएं ही ली। इनमें सर्वाधिक सुषमा स्वराज ने प्रदेश के सभी लोकसभा क्षेत्रों में सभाएं ली। भाजपा ने इस बार चुनावी प्रचार के लिए प्रांतीय नेताओं में अधिक दिलचस्पी नहीं दिखाते हुए बृजमोहन अग्रवाल, नंदकुमार साय, चंद्रशेखर साहू व सुश्री लता उसेंडी जैसे ही चेहरों पर ही भरोसा जताया। इन प्रांतीय नेताओं ने कुल 37 स्थानों पर चुनावी सभाएं ली। भाजपा कार्यालय के मुताबिक राष्ट्रीय नेताओं में भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने 6 सभाएं, राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने 3, राष्ट्रीय नेता व छत्तीसगढ़ चुनाव प्रभारी सुषमा स्वराज ने 11, गुजराज के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 5ं, वरिष्ठ नेता वेंकैया नायडू ने 2, हेमा मालिनी ने ५ तथा रविशंकर प्रसाद ने 4 सभाएं ली। इस तरह राष्ट्रीय नेताओं ने कुल 36 सभाएं ली। वहीं प्रांतीय नेताओं में बृजमोहन अग्रवाल ने 18, नंदकुमार साय ने 9, चंद्रशेखर साहू ने 4 तथा सुश्री लता उसेंडी ने 6 सभाएं ली। इस तरह प्रांतीय नेताओं ने कुल 37 स्थानों पर सभाएं ली। राष्ट्रीय व प्रांतीय नेताओं की तुलना में प्रदेश के मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह ने सर्वाािधक 56 सभाएं ली। सभाओं के अलावा उन्होंने 12 दिनों में 700 किमी. की दूरी तय करते हुए 100 गांव में रोड शो किया









परिसीमन ने बिगाड़ा समीकरण

परिसीमन ने

बिगाड़ा

समीकरण

11 लोकसभा में 178


11 लोकसभा में 178
लड़ाके चुनाव मैदान में

० 32 सर्वाधिक प्रत्याशी रायपुर
एवं सबसे कम 7 बस्तर से

छत्तीसगढ़ की 11 लोकसभा सीटों में नाम वापसी के अंतिम दिन 178 लड़ाके चुनाव मैदान में अपनी किस्मत अजमाएंगे। सभी निर्वाचन अधिकारियों ने राष्ट्रीय, क्षेत्रीय, एवं निर्दलीय प्रत्याशी को चुनाव चिन्ह आबंटित कर दिया है। सर्वाधिक प्रत्याशी रायपुर में कुल 32 एवं सबसे कम 7 प्रत्याशी बस्तर में लोकसभा क्षेत्र में चुनाव लड़ेंगे । चुनाव आयोग के नियमानुसार एक लोकसभा क्षेत्र में 16 से अधिक प्रत्याशी होने पर दो ईव्हीएम मशीने लगाई जाईगी। छत्तीसगढ़ के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी से मिली जानकारी के अनुसार नामांकन पत्र की वापसी देने की अंतिम तिथि होने के बाद स्थिति स्पष्ट हो गई है। जिसके अनुसार सरगुजा में कुल 18 लोगों ने नामांकन पत्र भरा दो ने वापस लिया इस तरह 16 प्रत्याशी चुनाव मैदान में बिलासपुर में सर्वाधिक 16 प्रत्याशियों ने वापसी लिया इसके साथ 28 प्रत्याशी चुनाव मैदान में है। निर्वाचन पदाधिकारी से मिली जानकारी के अनुसार नामांकन पत्र की वापसी के पश्चात रायगढ़ से 10, चांपा जांजगीर से 12, कोरबा से 18 बिलासपुर से 28 राजनांदगांव से 14 दुर्ग से 15, रायपुर से 32 ,महासमुंद 15, बस्तर से 07, कांकेर से 11, प्रत्याशी चुनाव मैदान में शेष रहेंगे इस तरह 214 अभ्यर्थियों ने अपना नामांकन पत्र भरा जिसमें से कुल 36 लोगों ने नाम वापस लिया। इस तरह 178 लड़ाके चुनाव मैदान में शेष है।
जिन प्रत्याशियों ने अपना नाम वापस लिया है वे है -
सरगुजा से निर्दलीय राजू सिहं उईके, महेंद्र कुश निर्दलीय, जांजगीर चांपा से गीता धृतलहरे निर्दलीय, कोरबा से भरत लाल चौहान रिपब्लीकन पार्टी आफ इंडिय (ए), रज्जाक अली निर्दलीय ,बिलासपुर से एम.जहानी निर्दलीय, राज महंत सत्यनारायण निर्दलीय, भागीरथी सतनामी छ.ग विकास पार्टी, गायत्री बाला बंजारा, निर्दलीय गौतम प्रसाद डहरिया निर्दलीय, टी.आर बर्मन निर्दलीय, बलदेव प्रसाद बघेल निर्दलीय, रघुनाथ प्रसाद लहरे निर्दलीय, राजेन्द्र कुमार निर्दलीय, भाई रामफल माण्डरे निर्दलीय, लक्ष्मीकांत जडेजा निर्दलीय, ने नाम वापस लिया। बिलासपुर लोकसभा क्षेत्र से जिन प्रत्याशियों ने अपना नाम वापस लिया हैं वे हैं क्रमश : निर्दलीय उम्मीदवार शेखर बंजारे, हेमचंद गिरी निर्दलीय उम्मीदवार, सालिक राम जोगीजी निर्दलीय उम्मीदवार, गजानंद कुर्रे निर्दलीय उम्मीदवार व राधाकृष्ण टंडन निर्दलीय उम्मीदवार। राजनांदगांव लोकसभा क्षेत्र से ज्वाला प्रसाद पात्रे निर्दलीय उम्मीदवार, नारायण सिंह निर्दलीय उम्मीदवार व पदमचंद्र लालवानी निर्दलीय उम्मीदवार। दुर्ग लोकसभा क्षेत्र से अशोक राजपूत निर्दलीय उम्मीदवार, मनहरण निर्दलीय उम्मीदवार व ताराचंद साहू निर्दलीय उम्मीदवार। महासमुंद लोकसभा क्षेत्र से धनसिंह कोसरिया निर्दलीय उम्मीदवार। कांकेर लोकसभा क्षेत्र से नंदराम मण्डावी निर्दलीय उम्मीदवार व मनोहर नेताम निर्दलीय उम्मीदवार।
भाजपा में कौन कहां से
दुर्ग- सरोज पांडेमहासमुंद- चंदूलाल साहूराजनांदगांव- मधुसूदन यादवबिलासपुर- दिलीप सिंह जुदेवजांजगीर-चांपा-कमला पाटलेसरगुजा- मुरारीलाल सिंहकोरबा-श्रीमति करुणा शुक्लारायपुर- रमेश बैसबस्तर-बलीराम कश्यपकांकेर-सोहन पोटाईरायगढ़-विष्णुदेव साय
कांग्रेस प्रत्याशी
रायपुर- भूपेश बघेलदुर्ग- प्रदीप चौबे महासमुंद- मोतीलाल साहूकोरबा- चरणदास महंतराजनांदगांव- देवव्रत सिंहकांकेर - फूलोदेवी नेतामसरगुजा- भानुप्रताप सिंहरायगढ़- हृदय राम राठियाबस्तर- शंकर सिंह सोढ़ीबिलासपुर- रेणु जोगीजांजगीर-चांपा- शिव डहरिया

कैसा हो अपना पीएम

कैसा हो अपना पीएम



राष्ट्रवादी, पारदर्शी, दूरदर्शी और

देशहित को महत्व दे

ऐसी हो सरकार

Monday, April 13, 2009

कैसा हो अपना पीएम


कैसा हो अपना पीएम
विश्व में बनाये रख
सके देश की पहचान

Sunday, April 12, 2009

कैसा हो अपना पीएम


कैसा हो अपना पीएम


आज हमारे देश को


नायक की जरुरत है

Saturday, April 11, 2009

कैसा हो अपना पीएम

कैसा हो अपना पीएम

देश के प्रति समर्पित

होना आवश्यक

Friday, April 10, 2009

कैसा हो अपना पीएम

कैसा हो अपना पीएम



सरकारी स्कूलों कालेजों में


बढ़े शिक्षा की गुणवत्ता