Sunday, February 13, 2011

13 फरवरी ‘क्लीन योर कंप्यूटर डे’ पर विशेष


कंप्यूटर हमारी जीवनशैली का अभिन्न अंग होने का साथ कई बीमारियों का घर भी है.
रास्ते में भी अपनी गाड़ियों और मेट्रो में बैठे हुए आप लैपटॉप पर काम करते रहते हैं. लेकिन, आपने क्या अपने कंप्यूटर के की बोर्ड की हालत पर ध्यान दिया है? नहीं . लेकिन कंप्यूटर पर काम करते वक्त आप उन्हीं हाथों से खाने का सामान उठा कर खा जरूर लेते हैं. अगर ऐसा करते हैं तो मत करिए. यह आपको बीमार बना सकता है.
कैलिफोर्निया विविद्यालय की हाल ही में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक हमारे घरों और दफ्तरों में इस्तेमाल होने वाले कंप्यूटर के की बोर्ड टॉयलेट सीट जितने गंदे होते हैं. उसमें उन तमाम बीमारियों के कीटाणु होते हैं जो टॉयलेट सीट में होते हैं.
शोधकर्ताओं का कहना है कि जिस तरह आप टायलेट सीट को छूने के बाद उन्हीं हाथों से खाना नहीं खा सकते वैसे ही कभी भी कंप्यूटर पर काम करने के बाद बिना हाथ धोए खाना न खाएं. वरना आप तमाम बीमारियों को दावत देंगे.
इंटरनल मेडिसिन विशेषज्ञ डॉक्टर आर पी सिंह का कहना है, ‘‘दफ्तरों के कंप्यूटर पर सभी लोग काम करते हैं. उनके हाथों में जितनी गंदगी होती है वह की बोर्ड पर चिपक जाती है. इसके अलावा उनकी सफाई करने वाले कभी इस बात का ख्याल नहीं रखते कि वे सफाई के लिए कैसा ब्रश या कपड़ा इस्तेमाल कर रहे हैं. ऐसा होने के कारण कंप्यूटर पर तमाम तरह के कीटाणु चिपके रहते हैं.’’
उन्होंने कहा, ‘‘लोगों की कंप्यूटर पर काम करते वक्त खाते रहने की आदत होती है. इस आदत के कारण खाते वक्त खाने का कोई छोटा टुकड़ा भी अगर की बोर्ड में गिर कर फंस जाए तो वह निकल नहीं पाता है. ऐसे में वह वहीं सड़ता रहता है और कीटाणुओं को जन्म देता है.’’
कंप्यूटर की सफाई के बारे में स्वीडन के विविद्यालय क्रिंस्टन के शोध के मुताबिक कंप्यूटर पर काम करने के बाद उन्हीं हाथों से खाना खाने या चेहरा साफ करने से पेट और चमड़े की कई बीमारियां होने की पूरी संभावना होती है.
शोध के मुताबिक कंप्यूटर पर काम करने के बाद बगैर हाथ धोए खाना खाने से पेट की परेशानी सबसे ज्यादा होती है. जिसमें पेचिश और पेट में संक्र मण हो जाना सामान्य है. इसके अलावा अगर किसी संक्रामक बीमारी के शिकार व्यक्ति ने आपसे पहले कंप्यूटर इस्तेमाल किया है तो आपको वह बीमारी भी लग सकती है.
विशेषज्ञों की मानें तो कंप्यूटर को हमें बहुत ज्यादा साफ रखना चाहिए. इससे न सिर्फ हम बीमारियों से बचते हैं बल्कि हमारे कंप्यूटर को भी कोई बीमारी नहीं होती है.
कंप्यूटर इंजीनियर ईषान योगी का कहना है, ‘‘धूल और खाने की चीजें कंप्यूटर की दुश्मन होती हैं. मगर लोग इस बात को नहीं समझते. अगर आपके कंप्यूटर के सीपीयू के भीतर धूल घुस जाए तो वह हार्डवेयर को आसानी से खराब कर देता है. उसे जाम कर सकता है और आपको उसे ठीक करवाने जाना पड़ सकता है. इसके अलावा अगर कंप्यूटर पर गलती से भी खाने-पीने का कोई सामान गिर जाए तो वह उसके जीवन को कम करता है.’’
उनका कहना है, ‘‘कंप्यूटर को किसी भी तरह के तरल पदार्थ से साफ नहीं करना चाहिए . यहां तक कि आप उसे घर में टीवी वगैरह साफ करने वाले सामान्य क्लीनर से भी साफ नहीं कर सकते . ऐसे में उस पर अगर पानी, कोल्ड ड्रिंक या चाय गिर जाए तो समझ लिजिए आपका कंप्यूटर तो गया. ’’
यानी आप अपने कंप्यूटर की सफाई दो कारणों से कर सकते हैं. एक अगर आपको अपनी सेहत का ख्याल है. दूसरा अगर आपको अपने कंप्यूटर की सेहत की चिंता है.

valentine's day


500 नक्सली हमलों में 350 लोग मारे गए

देश के नौ राज्यों में पिछले तीन महीनों के दौरान हुए 500 विभिन्न नक्सली हमलों में लगभग 350 लोग मारे गए हैं। इन हमलों में सबसे अधिक लोग छत्तीसगढ़ में मारे गए हैं। केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय माकन ने राज्यसभा में बताया कि पिछले तीन महीनों के दौरान छत्तीसगढ़ में 140, झारखण्ड में 111, पश्चिम बंगाल में 88, बिहार में 78 और उड़ीसा में 43 नक्सली हिंसा की घटनाएं हुईं। ऐसी ही 20 घटनाएं महाराष्ट्र में, 17 आंध्रप्रदेश में, दो मध्यप्रदेश में और एक उत्तर प्रदेश में हुईं। उन्होंने बताया कि इस दौरान छत्तीसगढ़ में 194 लोग मारे गए, जिसमें सुरक्षाकर्मी भी शामिल हैं। पश्चिमबंगाल में 66 और उड़ीसा में 23 मारे गए। नक्सलियों ने हमले के दौरान सुरक्षाकमिर्यो के हथियार भी लूट लिए।

अब हेलीकॉप्टर से नक्सलियों पर नजर रखी जाएगी


छत्तीसगढ़ में नक्सलियों पर शिकंजा कसने और दूरदराज के क्षेत्रों समेत घने जंगलों में कहीं भी फोर्स के उतरने की तैयारियां बस्तर पुलिस ने कर ली हैं। बस्तर संभाग के पांचों जिलों के हर पहुंच विहीन इलाकों में छह हेलीकॉप्टरों से नक्सलियों के ठिकानों की रेकी शुरू कर दी गई है। किसी भी बड़े ऑपरेशन में माओवादियों को करारा जवाब देने प्रशिक्षित जवान अधिकारी संबंधित क्षेत्र में हेलीकॉप्टर से उतारे जाएंगे, जो कुछ ही मिनटों में परिस्थितियों के मुताबिक मोर्चा संभाल लेंगे। इस मुहिम में साधारण जवानों को नहीं लगाया जाएगा। उच्च स्तरीय इस फैसले के बाद पुलिस अफसरों ने रणनीति में यह बदलाव किया है। अफसरों समेत दो जवानों को 60 दिन तक कांकेर स्थित काउंटर टेररिज्म एंड जंगलवार फेयर में कड़ा प्रशिक्षण दिया गया है। जहां उन्हें युद्ध का कौशल सिखाया गया है। इतना ही नहीं, इन तैयार किए गए जवानों को कांकेर, दंतेवाड़ा, बीजापुर, बस्तर एवं नारायाणपुर में तैनात कर दिया गया है।  संवेदनील इलाकों पर नजर रखने हेलीकॉप्टरों से रेकी की जाएगी। इसके लिए अग्रीम परीक्षण हो चुका है। ऐसे जवान कुछ ही क्षणों में अपने दुश्मन पर धावा बोल देते हैं।

नक्सलियों ने छह महीनों में 190 हत्याएं कीं

छत्तीसगढ़ में माओवादी नक्सली संगठन ने इस वर्ष छह महीनों में 137 सुरक्षाकर्मियों सहित 190 लोगों की हत्या की, जिसमें केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के 117 जवान भी शामिल हैं। नक्सली इन वारदातों के दौरान पुलिस के लगभग सौ आधुनिक हथियारों और कारतूसों का जखीरा लूट ले गए है। पुलिस की कड़ी कार्रवाई के दावों के बीच केवल 32 नक्सली मारे गए हैं, जबकि नक्सलियों ने मुखबीरी के आरोपों में 53 ग्रामीणों की हत्या कर दी है। हिंसा का शिकार होनेवालों में पुलिस अधिकारी, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस के नेता तथा चिकित्सक भी शामिल हैं। पिछले तीन महीनों में नक्सलियों ने भारी उत्पात मचाया। गत छह अप्रैल को दंतेवाड़ा जिले के ताड़मेटला में नक्सलियों ने रणनीति के तहत अब तक की सबसे बड़ी वारदात करते हुए सीआरपीएफ पर हमला किया, जिसमें 76 जवान शहीद हो गए। नक्सली इस घटना के दौरान जवानों की 50 से अधिक बंदूकों के अलावा राइफल और भारी मात्रा में कारतूस लूट ले गए। बीजापुर जिले के बासागुड़ा में गत आठ मई को बारूदी सुरंग विस्फोट में सीआरपीएफ के आठ जवान शहीद हो गए। दंतेवाड़ा जिले में नक्सलियों ने पहली बार आम लोगों को निशाना बनाया। सुकमा-कोंटा मार्ग पर गत 17 मई को चिंगावरम के पास नक्सलियों ने एक यात्री बस को विस्फोट करके उड़ा दिया, जिसमें 16 जवान सहित 31 लोग मारे गए।  गत 23 जून को गोलापल्ली थाने से निकले जवानों पर नक्सलियों ने गोलियां चलाईं, जिसमें तीन जवानों की मौत हो गई।  गत 29 जून को नारायणपुर जिले के धोड़ाई थाना क्षेत्र के तहत गश्त से लौट रहे सीआरपीएफ के जवानों पर नक्सलियों ने चारों ओर से घेरकर हमला किया। 

तीन वर्षों में नक्सलियों ने 1,948 हमले किए


छत्तीसगढ़ में पिछले तीन वर्षों के दौरान 1,948 नक्सली हमले हुए। इनमें न सिर्फ 418 आम नागरिकों की जान गई, बल्कि 435 सुरक्षाकर्मी भी शहीद हो गए।
तीन माह में 500 नक्सली हमलों में 350 लोग मारे गए 
पुलिस मुख्यालय के एक अधिकारी ने बताया,"नक्सलियों ने जुलाई 2007 से जुलाई 2010 के बीच 1,948 हमले किए। इन हमलों में 418 नागरिक और 75 विशेष पुलिस अधिकारियों सहित कुल 435 पुलिसकर्मी शहीद हुए।" अधिकारी ने बताया कि नक्सलियों ने 95 फीसदी हमले बस्तर इलाके में किए हैं और हताहतों की संख्या भी सबसे ज्यादा यहीं है। लगभग 40,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला यह क्षेत्र खनिज संपदा के मामलों में समृद्ध माना जाता है।