Wednesday, April 15, 2009

कब होगी जनता की जय...




मत दान ना करें

कब होगी जनता की जय...

61 साल हो गए लोगों को बिजली,

पानी और सड़क की लड़ाई लड़ते

देश की आजादी के पूरे 61 साल हो गए, लेकिन आज भी जनता अपनी जरुरतों को पूरा करने का अथक प्रयास करते हुए असामयिक मौत के शिकार हो जाते हैं। सत्ता की कमान संभालने वाले नेता हर चुनाव में जनता को खूबसूरत हंसीन सपने दिखाते हंैंं और सपनों के सहारे वे अपना उल्लू सीधा कर अपने उद्देश्य में सफल हो जाते हैं। जनमानस उनके झांसे में आकर गलत व्यक्ति को अपना बहुमूल्य वोट दे देती है और एक बार जनता के दरबार में जाने वाले नेता जीतने के बाद फिर पांच साल तक उस गली से गुजरते तक नहीं। लोगों की समस्याओं से उन्हें कोई सरोकार नहीं है। देश का कौन सा प्रदेश, प्रदेश का कौन सा शहर और शहर का कौन सा हिस्सा किन- किन समस्याओं से ग्रस्त है इसकी सुध लेने वाला कोई नहीं है। समस्या ग्रस्त लोग इसकी शिकायत भी करते हैं लेकिन उसका निबटारा होगा कि नहीं होगा और होगा तो कब तक होगा उसे इस बात की जानकारी नहीं रहती। फलस्वरूप जनता अभावग्रस्त जीवन जीने को मजबूर रहती है। देश में आज भी ऐसे अनेकों गांव हैं जहां पर ना तो बिजली पहुंच सकी है और ना ही सड़क। बिजली सड़क तो दूर की बात है सरकार का कोई नुमाइंदा भी इन इलाकों तक पहुंचने की जहमत नहीं उठाता। यही कारण है कि आज तक कई गांव और गांवों में रहने वाले हजारों-लाखों लोग नारकीय जीवन जीने को मजबूर हैं। भारत की सवा अरब जनसंख्या में आधी से अधिक जनसंख्या गरीबी रेखा के नीचे जीवन-यापन करती है। इनमें से कई परिवार ऐसे हैं जिन्हें पर्याप्त ढंग से दो वक्त का भोजन भी नसीब नहीं हो पाता। गरीबों के बच्चों की शिक्षा,स्वास्थ की कोई बेहतर व्यवस्था नही है। ऐसा नहीं है कि सरकार द्वारा गरीबों के उत्थान के लिए योजनाएं नहीं बनाई जाती,योजनाएं तो बनती है लेकिन इनका सही ढंग से क्रियान्वयन नहीं हो पाता और जिम्मेदार क्रियान्वयन एजेंसी या तो फ्राड काम करते हैं या करते हैं तो दस में से एक व्यक्ति तक ही उसका लाभ पहुंच पाता है। किसी भी समस्या के निबटारे के लिए स्थानीय जनप्रतिनिधि और अफसर जिम्मेदार होते हैं लेकिन वे इन समस्याओं का हल ईमानदारी के साथ नहीं करते और समस्याएं जस की तस बनीं रहती हैं। इसी तरह समय बीतता जाता है और समस्याओं का निराकरण करने वाले इसकी अनदेखी करते रहते हैं। परिणामस्वरुप निरंतर अनदेखी के कारण छोटी-छोटी समस्याएं आज विकराल रुप ले चुकी है। प्रकृति के साथ लगातार छेड़छाड़, मानव द्वारा प्राकृतिक संसाधनों का बलपूर्वक दोहन और प्रकृति की रक्षा के लिए कोई भी सकारात्मक पहल नहीं किए जाने के कारण आज देश में समस्याएं एवं कमी और कमी के अलावा कुछ भी नहीं है। हर वो वस्तु जो पूर्व में बहुतायत मात्रा में लोगों को सहजता से उपलब्ध हो जाया करती थी आज वो अधिक दाम और काफी तकलीफों के बाद प्राप्त हो रही है। सरकार द्वारा करोड़ों-अरबों रुपए का बजट खर्च करने के बाद भी लोगों तक प्राथमिक-बुनियादी सुविधाएं मुहैया नहीं हो पाई है। देश में लगातार बढ़ती बेरोजगारी,भूखमरी,गरीबी, आतंकवाद, नक्सलवाद, भ्रष्टाचार, अपराध, महंगाई एवं भारतीय संस्कृति का हास से आम लोगों का जीना दुश्वार हो गया है। सरकार की गलत नीतियों एवं सरकारी तंत्र में सत्तासीन भ्रष्ट और बेइमान अफसर व नेता इसके लिए जिम्मेदार होते हैं जो इन योजनाओं का पैसा खा जाते हैं और डकार तक नहीं लेते। इसलिए आम जनता अपने पुराने अनुभवों को ध्यान में रखते हुए पार्टी व नेताओं के प्रलोभन या झांसे में ना आकर ऐसे प्रत्याशी का चयन करें जो योग्य और ईमानदार हो। मतदाता अपने मतों का दान ना करें बल्कि मतों का प्रयोग देशहित को ध्यान में रखकर करे।

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