Monday, March 8, 2010

महिला आरक्षण बिल. दबी-कुचली और योग्य महिलाओं को लाभ मिले तब होगा फलीभूत.













८ मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर महिलाओं को लोकसभा और विधानसभा में ३३ फीसदी आरक्षण के लिए बिल लाया गया.जिस तरह नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज ने अपने बयान में कहा कि पिछले १३ साल से अटके इस बिल को  इस बार हम पास कराना चाहते है. इससे ऐसा लगता है कि इस बार ये बिल पास हो जायेगा. लेकिन वर्तमान परिस्थिति पर नज़र डालें तो इस बिल के पास हो जाने के बाद इस बात की चिंता जरुर जेहन में उठती है कि क्या इसका लाभ उन महिलाओं को मिल पायेगा जो निम्न वर्ग की और दबी-कुचली हैं? और उन महिलाओं को जो योग्य तो है लेकिन जिन्हें आगे बढने से रोका जाता है? क्योंकि अभी हालिया निबटे लोकल चुनाव पर नज़र डालें तो ऐसी अधिकांश महिलाये चुनाव जीत कर आई है जिनके परिवार का कोई न कोई पुरुष सदस्य राजनीति से जुड़ा है. आरक्षण के बाद ऐसे राजनीतिज्ञों की तो निकल पड़ेगी. क्योंकि आरक्षण के बाद इसका सबसे ज्यादा फायदा भी ऐसे ही राजनीतिज्ञ उठाने वाले है. सुषमा स्वराज ने रायपुर में अपने एक बयान में ये कहा कि जब तक महिलाए राजनीतिक रूप से सशक्त नहीं होंगी तब तक महिला सशक्तिकरण का कोई फायदा नहीं. इसी में मै ये कहना चाहता हूँ कि क्या राजनीतिज्ञों के परिवारों से जुडी महिलाओं के राजनीति में आने से महिला सशक्त होगी या फिर उन महिलाओं के आने से जो अपने दम पर राजनीति में आई है. क्यों भारत वर्ष का इतिहास रहा है कि यहाँ लाभ उठाना तो पद पर बैठे लोगों कि बपौती है. इस बिल का उद्देश्य तभी सफल होगा जब इसका फायदा सही महिलाओं को मिलेगा.

Thursday, March 4, 2010

योग छोड़ भोग में लिप्त हैं कई बाबा.उनके भक्तों का क्या?


भीमानंद,नित्यानंद और ना जाने कितने आनंद. तथाकथित बाबाओं ने पैसा कमाने का ऐसा तरीका इजाद किया है कि अच्छे-अच्छे को भनक तक ना लगे,लेकिन कहते है ना कि पाप का घड़ा भरते देर नहीं लगती. कोई बाबा सेक्स के कारोबार में करोड़ो अन्दर कर रहा है तो कोई सेक्स का आनंद लेने के लिए हेरोइन के साथ हमबिस्तर हो रहा है. ·कोई झूटे दावे करके लोगों को उल्लू बना रहा है तो कोई डर दिखाकर रुपये वसूल रहा है. देश में बाबाओं ने पैसा कमाने का एक बढ़िया धंधा बना लिया है.कई बाबाओं कि शक्ल ही ऐसी दिखती है जैसे किसी जेल से छूटे आरोपी की होती है. हमारे देश में धर्म-कर्म पर आस्था रखने-वालों कि कमी नहीं है इसी का फायदा ढोंगी बाबा बड़ी आसानी से उठा लेते है. उन्हें उन मासूम लोगों की भावनाओं से कोई लेना-देना नहीं जो उन पर अपना अटूट विश्वास रखते है.उन्हें तो बस अपनी झोली भरने और ऐश करने से मतलब है. यदि इन बाबाओं की करतूत पर गौर करें तो ऐसा लगता है कि नौकरी किये बिना, मेहनत किये बिना पैसा आसानी से कमाने के उद्देश्य और तमाम ऐशों आराम आसानी से पाने के लिए तथा पैसा कमाने कि जद्दोजहद से बचने के लिए बाबा बन जाते है. ताकि उनकी सारी जरूरते पूरी हो जाए. आज दीन-दुनिया के चक्कर में पड़ा आदमी पुण्य के चक्कर में बाबाओं के चक्कर में आसानी से पड़ जाता है इसका फायदा कथित ढोंगी किस्म के बाबा लगातार उठाते रहते है.बात तब खुलती है जब बाबा अपनी कई हदें पार कर देता है. भविष्य बताने, परेशानियों से बचाने का झांसा देकर लोगों को ठगने वालों की आज भी कमी नहीं है.कई समाचार-पत्रों में भी बाकायदा ऐसे बाबाओं द्वारा विज्ञापन देकर अपना धंधा चलाया जा रहा है.यदि इस तरह से ठगी करने वाले लोगों पर नज़र रखने निगरानी समिति बनाई जाये तो ठगी के इस कारोबार पर काफी हद तक रोक लगाई जा सकती है.

Monday, March 1, 2010

indian hockey team



चक दे इंडिया

भारतीय हांकी टीम


गोलकीपर: एड्रियन डी'सूजा, पीआर श्रीजेश

डिफ़ेंडर: संदीप सिंह, धनंजय महादिक, दिवाकर राम

मिड फ़ील्डर: गुरबाज सिंह, सरदार सिंह, भारत, अर्जुन हलप्पा, दानिश मुजतबा, विक्रम पिल्लई

फ़ॉरवर्ड: राजपाल सिंह, शिवेंद्र सिंह, तुषार खांडेकर, प्रभजोत सिंह, सरवनजीत सिंह, दीपक ठाकुर, गुरविंदर सिंह चांडी
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खिलाडियों का परिचय
 
 
एड्रियन डीसूजा
जन्म 24-3-1984 पोजिशन गोल कीपर
मुंबई के डीसूजा जनवरी 2004 से भारतीय टीम में हैं। इसी साल वह भारत के प्लेयर ऑफ ईयर से नवाजे गए। अब तक वह देश के लिए 135 मैच खेल चुकेहैं।


दिवाकर राम
जन्म - 8-12-1989 पोजिशन- डिफेंडर
गोरखपुर के रहने वाले दिवाकर राम के दनदनाते ड्रैग फ्लिक की बदौलत ने भारत ने 2008 मैं साउथ कोरिया को हराकर जू. एशिया कप जीता था। सीनियर टीम में वह 14 मैच खेले हैं।

सरदारा सिंह
जन्म - 15-7-1986 पोजिशन - सेंटर, फुलबैक
पीएचएल में हैदराबाद सुल्तान और चंडीगढ़ डायनमोज के कप्तान रह चुके हरियाणा के सरदारा सिंह 2008 में भारतीय हॉकी टीम के सबसे युवा कप्तान में शुमार हुए।

गुरबाज सिंह
जन्म - 09-08-1988, पोजिशन - मिडफील्डर
76 मैच खेल चुके गुरबाज सिंह की कप्तानी में भारत ने जू. एशिया कप जीता था। किलोर्स्कर हॉकी एकेडमी का यह खिलाड़ी किसी भी मुकाबले का पासा पलटने का माद्‌दा रखते हैं।
भरत चिकारा

जन्म - 10-10-1986, पोजिशन - मिडफील्डर
हरियाणा के भरत चिकारा ने कोच जोएकिम कावोर्ल्हो के समय अंतरराष्ट्रीय कैरियर का आगाज किया था। चिकारा बहुत चतुर स्कोर हैं । वह अब तक 60 मैच खेल चुके हैं।

शिवेंदर सिंह
जन्म - 9-6-1987, पोजिशन - फारवर्ड
मध्य प्रदेश का यह युवा खिलाड़ी ने पहले कोच एसपी सिंह और बाद में गुरबक्स सिंह की निगरानी में हॉकी का ककहारा सीखा। 2006 में पदापर्ण के बाद से उन्होंने 102 मैच में 48 गोल दागे हैं।


दानिश मुज्तबा
जन्म - 20.12.1988, पोजिशन - मिडफील्डर
दिल्ली के दानिश मुज्तबा ने 2009 में कोच होसे ब्रासा की निगरानी में अपने कैरियर की शुरुआत की। वह अब तक राष्ट्रीय टीम से देश के लिए 10 मैच खेल चुके हैं।


राजपाल सिंह
जन्म - 08-08-1983, पोजिशन - फारवर्ड
कप्तान राजपाल सिंह अब तक 120 मैच खेल चुके हैं। खुद पर भरोसा करना उनकी ताकत है। उनका कहना है बेशक भारत को कठिन ग्रुप मिला है लेकिन टीम अंतिम चार में जगह बनाने में कामयाब रहेगी।


प्रभजोत सिंह
जन्म - 14.08.1980 पोजिशन - फारवर्ड
भारतीय हॉकी के सबसे तेज तर्रार लेफ्ट विंगर प्रभजोत सिंह मुख्य कोच ब्रासा के सबसे पसंदीदे और भरोसेमंद खिलाड़ी हैं। इसलिए ब्रासा ने बतौर कप्तान पंजाब के इस खिलाड़ी का नाम हॉकी इंडिया के सामने पेश किया था।

तुषार खांडेकर
जन्म - 05-04-1985
पोजिशन - फारवर्ड
एशिया कप 07 (गोल्ड) में भारतीय टीम का हिस्सा रह चुके तुषार खांडेकर ने अब तक देश के लिए 166 मैच खेले हैं और कुल 42 गोल दागे। उन्होंने आस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट सीरीज में भारत का नेतृत्व किया।

दीपक ठाकुर
जन्म - 28-12-1980,
पोजिशन - फारवर्ड
भारतीय हॉकी का हीरा है दीपक ठाकुर। यह कहना है कोच हरेंद्र सिंह, जिन्होंने 2009 अर्जेंटीना टूर पर उसे राष्ट्रीय टीम में वापस बुलाया। अर्जेंटीना दौरे पर वह एक अवतार के रूप उभरे।

पीआर श्रीजेश
जन्म - 8-5-1988, पोजिशन - गोलकीपर
केरल से लंबे समय बाद कोई राष्ट्रीय टीम में आया है तो वह है पीआर श्रीजेश। यह एक उदीयमान गोलकीपर है और उसे एंड्रियन डीसूजा के विकल्प के रूप में देखा जा रहा है।

श्रवणजीत सिंह
जन्म - 3-07-1988, पोजिशन - फारवर्ड
पंजाब के स्ट्राइकर श्रवणजीत ने 2007 सुल्तान अजलान शाह कप में कोच जोएकिम कार्वालहो की देखरेख में अंतरराष्ट्रीय कैरियर का आगाज किया था तब से वह 22 मैच खेल चुके हैं।

गुरविंदर सिंह चांदी
जन्म - 20-10-1989 पोजिशन - फारवर्ड
गुरविंदर गजब का फारवर्ड खिलाड़ी है। 2008 में आस्ट्रेलियन चार नेशंस टूर्नामेंट से सीनियर टीम में आगाज करने वाले गुरविंदर ने इस दौरे पर आठ मैचों में तीन गोल दागे थे।

विक्रम पिल्ले
जन्म - 27-11-1981 पोजिशन - मिडफील्डर 163 मैच खेल चुके विक्रम पिल्लै काफी डायनामिक मिडफील्डर हैं। 2004 हॉलैंड टेस्ट सीरीज में वह बेस्ट प्लेयर के खिताब से नवाजे गए।

अर्जुन हलप्पा
जन्म - 17-12-1980 पोजिशन - मिडफील्डर
वर्ल्ड कप में भारत के सबसे अनुभवी खिलाड़ी हैं अर्जुन हलप्पा। कनार्टक का यह खिलाड़ी अब तक 199 मैच खेल चुका है और 32 गोल दोग हैं। इस वर्ल्ड कप में उनपर काफी दारोमदार है।

धनंजय महादिक
जन्म - 5-11-1984 पोजिशन - मिडफील्डर
धनंजय ने अर्जेंटीना के साल्टा में चैंपियंस चैलेंज कप के दौरान खुद को बेहतरीन ऑलराउंडर साबित किया था। 28 मैच मेंं 10 गोल करने वाले महादिक लेफ्ट फुलबैक और मिडफील्डर भी हैं।

संदीप सिंह
जन्म - 27-2-1986 पोजिशन - डिफेंडर
ड्रैग फ्लिकर संदीप सिंह को 18 बरस की उम्र में भारत की सीनियर टीम में खेलने का मौका मिला। उन्होंने 2004 में जूनियर एशिया कप जीतने में अहम भूमिका निभाई।