Thursday, May 7, 2009

पानी के चक्कर में हो गया गुलाम...


पानी के चक्कर

में हो गया गुलाम...



शहर में घुसा तेदुंआ


कल्पना से परे हो गई घटना
उसे प्यास लगी थी लेकिन उसे क्या पता था कि प्यास बुझाने के लिए वह उस स्थान तक पहुंच जाएगा जहां पर इंसान बसते हैं। रात के अंधेरे में उसके कदम पानी की तलाश में घनी आबादी की ओर चल पड़े। उसे पानी मिला कि नहीं यह तो वही जानें पर पानी के चक्कर में उसकी जिंदगी गुलाम जरुर हो गई। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के आसपास इतने घने जंगल नहीं है कि वहां जंगली जानवर बसेरा कर सकें। लेकिन कुछ लोगों का मानना है कि यहां के डब्लूआरएस कालोनी के वैगन रिपेयर शाप की ओर के घने जंगलों में तेंदुआ के होने का आभास होता रहा है। डब्लूआरएस कालोनी से शहर तक का इतना लंबा रास्ता तय करके शहर में पहुंचे तेंदुए ने किसी को कुछ नहीं किया या ताज्जुब की बात है। वो जिस रास्ते से भी वहां तक पहुचा हो लेकिन उसका किसी को नुकसान नहीं पहुंचाना यह संकेत देता है कि वह अपनी (प्यास बुझाने) जान बचाने के लिए वहां तक पहुंचा था। क्योंकि रायपुर कभी सोता नहीं और इतनी गर्मी में यहां के लोग रातभर जागते हुए सड़कों पर टहलते ही रहते हैं। खैर जो भी हो जंगल में बसेरा करने वाले जानवर वो भी तेंदुआ जैसे जानवर का शहर में प्रवेश करना किसी परिवर्तन की तरफ इशारा कर रहे हैं। इस परिवर्तन के लिए वे लोग जिम्मेदार हैं जो आधुनिकता की दौड़ मे अंधे होकर जंगलों को तबाह करने पर तुले हुए हैं। विकास के नाम पर जंगलों और वहां मौजूद जलश्रोतों को खत्म करने में लगे हैं। जंगल के आसपास के गांव में कभी-कभार घुस जाने वाले जानवर का किसी राज्य की राजधानी में प्रवेश करना किसी दुर्घटना से कम नहीं है। रायपुर शहर का एक भी व्यक्ति इस बात की कल्पना तक नहीं कर सकता था कि तेंदुआ जैसा खूंखार जानवर शहर के भीतर रिहायशी इलाके में इस तरह प्रवेश कर जाएगा और शहर में सो रहे इंसानों को इसकी भनक तक नहीं होगी। वन विभाग के अफसर इस बात को लेकर चिंतित हैं कि आखिर वह आया कहां से। खैर वह आया जहां से भी हो लेकिन यह पूरे विश्वास के साथ कहा जा सकता है कि वह सिर्फ पानी की तलाश में ही आया था। मनुष्य ने प्रकृति के साथ जिस तरह से खिलवाड़ किया है इसी का परिणाम है कि आज एक जानवर अपनी प्यास बुझाने के लिए अपनी जान जोखिम में डालकर जंगल से शहर में आ पहुंचा। उसकी प्यास बुझी कि नहीं वह तो तेंदुआ ही जानें पर इसके चक्कर में उसने अपनी स्वतंत्रता गंवा दी। अब वह जंगल की आजाद मदमस्त जिंदगी से पिंजरे की कैद में पहुंच गया है। अब उसकी जिंदगी पर इंसानों का कब्जा है और अब इंसानों की इच्छा पर निर्भर है कि वे उसे आजाद करते हैं कि पिंजरे की शोभा बढ़ाने के लिए किसी पार्क में रखते हैं।

No comments: