Thursday, December 10, 2015

त हमन किसानी छोड़ देन कि दारू पीना....

राज्य में फसल खराब होने आैर कर्ज से परेशान किसानों की खुदकुशी के कई मामले सामने आ चुके हैं। ऐसे में खेती किसानी से जुड़े लोगों की परेशानी बढ़ गई है। क्योंकि हर साल किसी न किसी समस्या काे लेकर किसान उलझे हुए नजर आते हैं। किसानों की इस दुर्दशा पर गांव के चौपाल पर दो किसान आपस में खेती की दशा को लेकर बातें कर रहे है। किसानों की खुदकुशी के संदर्भ में किसानों के बीच हुई बातचीत अब सोशल मीडिया में भी पहुंच गया है। क्या उनकी पीड़ा है आैर वे एक दूसरे से क्या कह रहे हैं उसका एक अंश हम अपने पाठकों के लिए प्रस्तुत कर रहे हैं। पहला किसान बोलता है कइसे यार ए दारी तोर फसल के का हाल हे। दूसरा बोलता हे काय बताआें भइया ले दे के खाय के पुरता होयहे। फेर वहू हर कोन जनी कतका दिन चलही। तभी पहला बोलता है। हव यार मोरो उइ हाल हे। पता नहीं करजा ल कइसे चुकाबो। काबर मे सोचे रेहेंव कि थोड़ बहुत धान-पान हो जाय रतिस ते करजा से चुका दे रतेंव। तभी दूसरा किसान बोलता है हव महूं आेसने सोचत रेहेंव। पता नहीं काय होही। तभी पहला बोलता है मे हर समाचार मे सुनत रेहेंव कि फसल खराब होयके चिंता आैर करजा नई पटाय सके के कारन कई झन किसान मन आत्महत्या कर लीन हे। तभी दूसरा बोलता हे तभो ले तो सरकार के कान मे जुंआ तक नहीं रेंगत हे। पहला बोलता है सही कहात हस। किसान मन चिंता में मरगे अउ सरकार हर उंकर मौत ल शराब पीये कारन मौत होना बतावत हे। दूसरा बोलता है तहीं बता भइया जेन किसान हर करजा में बूडे़ रही का आेहर शराब पीये बर जाही। अरे जेकर करा खाय बर पइसा नई हे आेला दारू पिए बर पइसा कोन दिही। तभी पहला बोलता है। सही काहत हस यार। कम से कम सरकार ल तो किसान मन के चिंता करना चाही। काबर उंकर अउ कोन पुछइया हे। तभी दूसरा बोलता है अब किसान मरत हे त सरकार ल आेकर जखम मे मरहम लगाना चाही फेर सरकार दहान ले अइसन गोठ बात आए ले जे किसान मरे हे आेकर परिवार वाला मन उपर काय बितत होही एेला घलो समझना चाही। तभी पहला बोलता है महूं मानथो भइया किसान मन दारू पीथे फेर अतिक नइ पिये कि दारू पीके मर जाए। अब तो अइसे लागथे भइया या तो हमन ला किसानी करना छोड़ देना चाही या फेर दारू पिए बर छोड़ देना चाही काबर जब तक दूनो काम करबो तब तक हमर मौत के अइसने मजाक बनत रही।

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