हाकी
लीग के मैच रायपुर में शुरू
हो चुके हैं। प्रतियोगिता
में आठ देशों की टीम में हिस्सा
ले रही है। चूंकि मैच में प्रवेश
के लिए टिकट आैर पास दोनों में
किसी एक का होना जरूरी है। ऐसे
में शाम को खाली घूमने वाले
लोगों के लिए आने वाले 22
दिनों
तक मनोरंजन का पता हाकी स्टेडियम
बन गया है। लेकिन बिना पास के
वहां जाना किसी तकलीफ से कम
नहीं है। क्योंकि बाहर से
स्टेडियम का नजारा देखकर हाकी
न जानने वाला व्यक्ति भी भीतर
घुसने की इच्छा जाहिर करेगा।
हाकी मैच के पास को लेकर दो
दोस्त आपस में कुछ बातें कर
रहे हैं। उनकी यह बात सोशल
मीडया तक पहुंच गई है। पहला
बोलता है साइंस कालेज मैदान
में हाकी मैच होवत हे जानत हस
कि नहीं।
दूसरा बोलता है हव
यार सुने तो हवं महूं हर लेकिन
गे नई हों। पहला बोलता है जाना
हे का बता। दूसरा बोलता है चल
तो देबो फेर हमर करा न तो टिकट
हे आैर न पास हे भइ,
कईसे
बनही। तभी पहला बोलता है मे
हों न तें चिंता झन कर। मोर
करा जुगाड़ हे पास के। दूसरा
तपाक से बोलता हे तोर करा कहां
ले आही। पहला उसकी बात काटते
हुए अरे ते मोला नइ जानस। मोर
करा सबो जुगाड़ हे। तें आेला
जानथस नहीं हमर मोहल्ला में
रथे साहब तेला। दूसरा बोलता
है अच्छा आे साहब ल काहत हस
का। पहला बोलता है.
हव
उही ला। दूसरा बोलता है त आेकर
करा कहां ले आ जाही पास ह..।
पहला बोलता है अरे ते नई जानस
आेकर भले हाकी से कोई लेना-देना
नई हे लेकिन अइसने मन करा तो
पास मन आथे। तें एकरा रूक मेंहर
जाके आवत हों आेकर घर ले। थोड़ी
देर बाद उसे आता हुआ देख दूसरा
बोलता है...
कइसे
मिलिस यार पास...
तभी
पहला थोड़ा झुंझलाते हुए..
हव
यार मिलिस लेकिन एकेठन पास
दिस यार आे हर। तभी दूसरा त
मेहर काय करहूं। तभी पहला
बोलता है मोर करा तो पास हे..
तोर
करा नइहे त तहूं जुगाड़ कर लेना
तहांन जाबों मेच देखेबर...।
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