Friday, October 15, 2010

नत्था आज भी गरीब है

नत्था आज भी

गरीब है


नत्था को नाम तो बहुत मिल गया लेकिन उतना दाम नहीं मिला जितना उसे मिलना चाहिए? छत्तीसगढ़ का नाम देश ही नहीं पूरी दुनिया में फ़ैलाने वाले इस छोटे कद के बड़े कलाकार को सरकार ने भी सम्मान के नाम पर सिर्फ दिया तो एक लाख. महंगाई के इस दौर में एक लाख में क्या होता है. अपना पूरा जीवन कला के लिए समर्पित करने वाले नत्था उर्फ़ ओंकरदास मानिकपुरी के पास रहने के लिए घर तक नहीं है. वह अपनी फिल्म पिपली लाइव के कारण भले ही आस्कर के सपने देख रहा हो पर अपने जीजा के घर में दिन गुजर रहा है. सफलता के बाद उसे जो कुछ थोड़े पैसे मिले उसे वह सहेज कर रख रहा है ताकि उसका उपयोग मुंबई में स्ट्रगल के लिए कर सके ! नत्था की कहानी आज भी फ़िल्मी नहीं रियल है.पिपली लाइव रिलीज़ होने के बाद लोगों ने उसे हाथो-हाथ लिया. उसका सम्मान करने समाज से लेकर तमाम प्रकार के लोगों ने अपना नाम नत्था के नाम के साथ कैश करा लिया लेकिन नत्था के पास आज भी कैश नहीं है. गरीबी में जीने वाला नत्था अभी भी गरीबी की मार झेल रहा है. आमिर से मिलकर वो जरुर कला में आमिर हो गया पर उसके पास अमीरी नहीं आई.कई कलाकार सालों बिताने के बाद एक छोटे अदद रोल के लिए तरस जाते है. लेकिन नत्था किस्मत का धनी होकर भी धन से धनी नहीं हो पाया. नत्था की फिल्म तो सफल हो गयी लेकिन वह तभी सफल होगा जब वह धनी होगा. क्योंकि आज कीमत कला की कम कीमती कलाकार की ज्यादा होती है !

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