Sunday, February 14, 2010

साइकिल चलाने की बजाय यदि अपने काफिले से एक-एक गाड़ी कम कर लें मंत्री तो लाखों लीटर पेट्रोल बरबाद होने से बच जाएगा .

महंगाई का सब अपने -अपने तरीके से विरोध जता रहे हैं। लोकतंत्र है इसलिए जो जैसी मर्जी आए अपना दिमाग लगाकर कुछ ना कुछ नया कर पब्लिसिटी पाने की तलाश में रहते हैं। अभी छत्तीसगढ़ में महंगाई को लेकर काफी शोर मचा हुआ है। कोई दुकान लगाकर महंगे सामान बेच रहा है तो कोई महंगाई के लिए जिम्मेदार नेता का पुतला फूंक रहा है तो कोई बंद करवाकर दो वक्त की रोटी की जुगाड़ में निकलने वाले मजदूर के पेट में लात मार रहा है, तो कोई सिर्फ नारेबाजी से काम चला रहा है। ये कोई एक की संख्या में नहीं हैं बल्कि सैकड़ों हजारों की संख्या में हैं। जो महंगाई और ना जाने कितने प्रकार की चीजों को लेकर समय-समय पर सड़कों पर आते रहते हैं। उनकी इस करतूत से ना तो पहले कभी कुछ हुआ है और ना आगे कभी कुछ होने वाला है। सरकार में पद पर बैठे नेताओं को जैसा सरकार चलाना है वो वैसा ही चलाएंगे। अब बात करें महंगाई की तो महंगाई के विरोध में हमारे प्रदेश में काबिज भाजपा सरकार के मुख्यमंत्री,मंत्री और तमाम विधायक (महिला विधायक और मंत्री भी शामिल हैं) साइकिल चलाकर विधानसभा जाएंगे। अब 12 किलोमीटर तक साइकिल चलाना मजाक तो नहीं। क्योंकि जो रोज साइकिल चलाता है उसके लिए 12 क्या 22 भी चलेगा। पर जो ना जाने कितने सालों से साइकिल चलाना तक भूल गए हैं ऐसे लोग 12 किलोमीटर तक साइकिल चलाएंगे कैसे? खैर ये भी छोड़ो। अब बात करे कि आखिर साइकिल चलाकर वो कितना पेट्रोल-डीजल बचा लेंगे। मैं यह सोच ही रहा था तभी मेरे दिमाग में ये ख्याल आया कि जितने लोग भी इस काम में हिस्सा ले रहे हैं उनमें से सभी दल-बल के साथ चलते हैं। दल-बल मतलब एक के पीछे एक ना जाने तीन,चार,पांच कितने वाहन चलते हैं। जाहिर है वाहन चलते हैं तो इंधन भी खर्च होता होगा। अब साइकिल चलाने वाले मंत्रियों को इतनी ही चिंता महंगाई की है तो अपने ताम-झाम को कुछ कम करके एकात वाहन अपने काफिले से यदि कम कर दें तो लाखों लीटर ईंधन की बचत कर सकते हैं। लेकिन वो ऐसा करेंगे नहीं क्योकि यदि वो ऐसा करेंगे तो पावरफुल मंत्री कैसे कहलाएंगे। क्योंकि पावरफुल दिखना है तो ताम-झाम तो दिखाना ही होगा। अब ऐसे दिखावा करके खबरों में आने के लिए इस तरह की हरकत करने वाले नेताओं को कौन समझाए कि जनता इतनी बेवकूफ नहीं है भैय्या बस उसकी कमजोरी सिर्फ इतनी है कि वो अपना गुस्सा सड़क प्रदर्शित नहीं कर सकती?

1 comment:

कडुवासच said...

...."किसी दिन" साईकिल चला लें या "एक गाडी" कम कर लें ...कोई फ़र्क पडने बाला नही है, मंहगाई तो मंहगाई है जिसके हाथ में लगाम है वो खींचे जा रहा है .... मौका मिलने पर वही विरोध मे चिल्ला भी रहा है, प्रभावशाली अभिव्यक्ति !!!