Saturday, February 13, 2010
ऐश्वेर्या को बुखार. पहले पन्ने पर खबर
कितनी संवेदनशील है मीडिया
बॉलीवुड अभिनेत्री ऐश्वेर्या को बुखार हो गया. बुखार न हुआ कोई पहाड़ टूट पड़ा हो. एक बड़े समाचार पत्र ने इस खबर को पहले पन्ने पर फोटो के साथ छापा. खबर पढने के बाद मुझे लगा कि एक गरीब असहाय जो लाइलाज बीमारी से तड़पता रहता है उसकी पीड़ा उसके सामने से गुजरने वाले मीडिया कर्मियों को नहीं दिखती पता नहीं क्यों आज हर वर्ग इतना मतलबी हो गया है. खबर भी आजकल औकात देखकर बनाई जाती है.बड़े आदमी को छीक आ जाये तो खबर बन जाती है.और गरीब बेमौत मर जाए उसे अखबार जगह तक नहीं मिल पाती.यदि कभी कभार जगह मिल भी जाती है तो ऐसी जगह होती है जिन पन्नो को पाठक पढता ही नहीं है.हमारे प्रदेश में कई स्थानों पर लोगों को खाना (२ रूपए किलो चावल ) तक नहीं मिल रहा है लेकिन शिकायत के बाद भी खबर लग जाए तो बहुत बड़ी बात है.कहने का मतलब यह है कि जिस उद्देश्य के लिये मीडिया का जन्म हुआ है अगर उसमे उन्ही चीजों को स्थान नहीं मिलेगा तो ऐसी मीडिया का क्या मतलब?
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1 comment:
....दरअसल खबर ये लगी थी "ओवरडोज की शिकार ऎश्वर्या" (दैनिक भास्कर की खबर है )....जैसे ही मैने हैडिंग पडी मेरे एक दोस्त ने कहा "ओवरडोज की जरूरत क्या थी, ओवरडोज मे अक्सर ऎसा हो जाता है" ... तब मैने कहा अरे बेवकूफ़ पहले समाचार पढ तो ले, कमेंट बाद मे किया कर .... तब वह हंसने लगा!!!! ...अब क्या कहें जितनी संवेदनशील मीडिया, उतने ही संवेदनशील पाठक!!!
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