Friday, August 14, 2009

आजादी के 62 साल बाद देश मे हर चीज नकली


आजादी के 62 साल बाद
देश मे हर चीज नकली

ये कैसा विकास है? ये कैसी तरक्की है? किस रास्ते पर जा रहा है हमारा प्यारा भारत देश? कौन है इसके लिए जिम्मेदार? कौन रोकेगा इसे? ये और इस तरह के तमाम सवाल देश के उन सभी लोगों से है जो किसी न किसी माध्यम से इस देश के साथ जुड़े हैं ,अर्थात् ये सवाल देश के सवा अरब लोगों से जिनमें देश को चलाने वाले नेता, देश का भविष्य संवारने वाले शिक्षक, देश के स्वास्थ्य की चिंता करने वाले डॉक्टर, देश को नया स्वरूप देने वाले इंजीनियर,देश का पेट भरने वाले किसान और देश के भविष्य की योजना बनाने वाले नौकरशाह सभी शामिल हैं। आजादी के इतने सालों में लिखने के लिए तो बहुत से विषय हैं लेकिन हम यहां पर देश में पांव पसार रहे नकली चीजों के कारोबार पर लोगों का ध्यान आकर्षित करना चाह रहे हैं।अनुभव करें तो आजाद भारत की उम्र जैसे-जैसे बढ़ती जा रही है वैसे-वैसे देश अंदर से खोखला होता जा रहा है। कभी शुद्धता और सौम्यता की मिसाल रहे इस देश की हर एक चीज आज नकली और मिलावटी हो गई है। देश के बाजार में नकली और मिलावटी चीजों की इतनी भरमार हो गई है कि आम आदमी का जीना दूभर हो गया है। नकली चीजें बनाने और मिलावट का कारोबार करने वाले चंद लोगोंं ने करोड़ों लोंगों की जिंदगी खतरे में डाल दी है। अपने आस पास नजर डालें तो खाने-पीने की चीजों से लेकर दैनिक उपयोग की प्रत्येक चीजें नकली हो गई है यहां तक की इन चीजों को खरीदने के लिए उपयोग किया जाने वाला नोट तक नकली बन चुका है। पाकिस्तान और पड़ोसी मुल्क के कुछ कारोबारियों ने भारत के भीतर इतनी अधिक मात्रा में जाली नोटों का जाल फैला दिया है कि वो देश की आर्थिक स्थिति को खोखला करने में महत्वपूर्ण हथियार साबित हो रहा है। नकली सामान,नकली खाद्य पदार्थ और नकली नोट देश के कोने-कोने में पहुंच चुके हैं। नकली समान से लोगों को आर्थिक क्षति,नकली खाद्य पदार्थ से लोगों को शारीरिक क्षति और नकली नोटों से देश को आर्थिक क्षति पहुंच रही है। क्या हमारे पुर्वजों ने देश की आजादी की मांग इन्हीं सब चीजों के लिए की थी ताकि विकास और तरक्की के नाम पर हमें नकली चीेजों का सामना करना पड़े। यदि नकली नोटों, दवाइयों, खाद्य पदार्थों एवं जरूरत की अन्य सामानों का कारोबार देश के भीतर इसी तेजी से फैलता रहा तो देश अंदर से इतना खोखला हो जाएगा कि एक दिन पूरा भारत नकली सामानों से पट जाएगा और नकली नोटों के कारण देश आर्थिक रुप से कमजोर हो जाएगा। आज हम अपने देश के भीतर अपने ही कुछ लोगों की कार गुजारियों के गुलाम बनकर रह गए हैं, हमारी जिंदगी चंद-लालची लोगों के हाथों में है जो मिलावट कर रातों-रात मालामाल हो रहे हैं। यदि हमारा देश आजाद है? देश में लोकतंत्र है? देश में कानून व्यवस्था है? तो देश की छाती पर बैठकर मूंग दलने वाले अर्थात देश के भीतर बैठकर देश भर में तमाम नकली चीजें फैलाने वाले लोगों पर सरकार इतनी नरम क्यों है? हाथ में आने के बाद भी हमारी पुलिस ऐसे लोगों के आकाओं तक क्यों नहीं पहुंच पाती? सरकार को चाहिए कि नकली चीजों का कारोबार करने वाले ऐसे लोगों को देशद्रोही करार देकर इनके खिलाफ कड़ी सजा का प्रावधान रखना चाहिए जिससे इस तरह देश के भीतर जहर घोलने वाले दूसरे लोगों के लिए यह एक सबक हो।
क्या-क्या नकली-
नोट- 100, 500, 1000 के नकली नोटों का जाल
खाद्य पदार्थ- तेल, घी, दूध, मक्खन, खोवा, आइसक्रीम, बिस्किट, चॉकलेट।
कई प्रकार की दवाईयां
आटोमोबाइल में टू-व्हीलर,फोर व्हीलर के तमाम नकली पार्ट्स
इलेक्ट्रीकल्स, इलेक्ट्रानिक्स की तमाम चीजों के नकली माल बाजार में उपलब्ध
ब्रांडेड कंपनियों के नकली कपड़े
विभिन्न यूनिवर्सिटी/ कालेजों के नकली मार्कशीट
टू-व्हीलर/ फोर व्हीलर के ड्राइविंग लायसेंस एवं कागजात
चेहरे पर लगाने वाले क्रीम, पाउडर, हेयर आयल इत्यादि।
क्या हानियां-
नकली चीजें खाने से जानलेवा बीमारियों का खतरा
इनसे आज मनुष्य की औसत उम्र में कमी
विकास में बाधक, विनाश में सहायक।
ऐसे हो बचाव-
सरकार को चाहिए कि वर्तमान में उपलब्ध तमाम नकली पदार्थों को मापने और जांचने परखने का मानक तैयार कर इसे सीधे आम जनता तक पहुंजाया जाना चाहिए जिससे जनता पहचान सके कि कौन सी चीज नकली है और कौन सी असली। अभी तक सरकार नकली नोटों की पहचान के लिए ही जनजागरण अभियान चला रही है। सरकार को ऐसा ही जनजागरण सभी चीजों के लिए चलाया जाना चाहिए।

No comments: