Friday, June 12, 2009

मया से आई छालीवुड में जान

मया से आई

छालीवुड में जान

सतीश जैन की फिल्म से बढ़ा

राज्य के कलाकारों का हौसला

एक लंबे अरसे से छत्तीसगढ़ी फिल्म की आस लगाए बैठे कलाकारों के लिए हालिया रिलीज फिल्म मया किसी संजीवनी बूटी से कम नहीं है। इस फिल्म के प्रदर्शन से राज्य के कलाकारों का हौसला काफी बढ़ा है। मधुर संगीत और झूमने को मजबूर कर देने वाले गानों के बीच सतीश जैन ने एक साफ सुथरी पारिवारिक फिल्म दर्शकों के लिए पेश की है। छत्तीसगढ़ की पहली सुपर-डुपर हिट फिल्म मोर छंईहां भुईयां के बाद छत्तीसगढ़ी फिल्मों की एक लंबी श्रृंखला चल पड़ी थी जिसमें कई सफल फिल्में भी फ्लोर पर आईं लेकिन पिछले कुछ समय से छत्तीसगढ़ी फिल्मों का अकाल सा हो गया था। सतीश जैन के अलवा प्रेम चंद्राकर ,सुंदरानी ब्रदर्स के बैनर तले भी कुछ सफल फिल्मों का निर्माण हो चुका है लेकिन इन सबके बावजूद भी राज्य में अभी तक फिल्मसिटी जैसी किसी चीज का आगाज नहीं हुआ है जिसमें राज्य के कलाकारों और निर्माता निर्देशकों का कुछ भला हो सके। कारण है सरकार द्वारा लगातार की जा रही इसकी उपेक्षा। लेकिन राज्य में कुछ ऐसे होनहार और जीवंत लोग भी हैं जो अपने दम पर छत्तीसगढ़ी फिल्मों के माध्यम से राज्य की भाषा को बढ़ावा देने में लगे हैं साथ ही यहां के होनहार और प्रतिभाशाली कलाकारों के कैरियर के लिए एक नया मंच बनाने मेहनत कर रहे हैं। ऐसा नहीं है कि राज्य में छत्तीसगढ़ी फिल्मों का निर्माण नहीं हो रहा था पिछले 8 सालों में कई हिट वीडियों फिल्मों के अलावा कई हिट गानों के एलबम बाजार तक पहुंच चुके हैं लेकिन सिर्फ एलबमों और वीडियो फिल्मों के माध्यम से इसे बढ़ावा नहीं दिया जा सकता। राज्य में जब तक बड़ी बजट की बड़े परदे की फिल्मों की निरंतरता नहीं होगी तब तक इसे संघर्ष करना पड़ेगा। सतीश जैन ने मया प्रदर्शित करके यह तो स्पष्ट कर दिया है कि वो पीछे हटने वालों में से नहीं हैं। साल में इस तरह की एक-दो फिल्में आती रही तो निश्चित ही इसे वो मुकाम हासिल हो जाएगा जो साउथ और अन्य रीजनल फिल्मों को है। सतीश जैन की मया को देखकर यह जरुर कह सकते हैं इससे छालीवुड में नई जान आ गई है।

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