Sunday, May 31, 2009

सिगरेट पीने से दिमाग पर गहरा असर

विश्व तंबाकू निषेध दिवस 31 मई

सिगरेट पीने से
दिमाग पर
गहरा असर

सिगरेट दिमाग के रसायनों पर असर डाल बड़े बदलाव के लिए ज़िम्मेदार होती है
एक अध्ययन में पाया गया है कि सिगरेट पीने से मस्तिष्क में उसी तरह के परिवर्तन होते हैं जैसा कि नशीली दवाएँ लेने पर.अमरीकी शोधकर्ताओं ने कुछ मृत लोगों के दिमागों का तुलनात्मक अध्ययन किया. इसमें तीन तरह के लोगों के दिमाग़ को लिया गया था.इसमें धूम्रपान करने वाले, न करने वाले और पहले कभी धूम्रपान के आदी रह चुके लोगों के मस्तिष्क शामिल थे. 'जनरल ऑफ़ न्यूरोसाइंस' में छपी इनके अध्ययन में कहा गया है कि धूम्रपान करने से मस्तिष्क में लंबे समय तक बने रहने वाले बदलाव होते हैं.एक ब्रिटिश विशेषज्ञ ने कहा कि इन परिवर्तनों को देखकर यह भी पता लगाया जा सकता है कि धूम्रपान करने वाले के लिए इसे रोकना कठिन क्यों था और उसने फिर धूम्रपान करना क्यों शुरू किया.
निकोटिन
'नेशनल इंस्टीट्यूट ऑन ड्रग एब्यूज़' के शोधकर्ताओं ने मानव मस्तिष्क के उन ऊतकों के नमूनों को देखा जो नशे की प्रवृत्ति रोकने में प्रभावी भूमिका निभाते हैं.ऐसे आठ लोगों के नमूने लिए गए थे जिन्होंने मरते दम तक नशा किया. आठ ऐसे लोगों के नमूने लिए गए थे जिन्होंने 25 साल तक नशा किया था और आठ लोगों के नमूने ऐसे थे जिन्होंने कभी भी नशा नहीं किया था.इनमें से किसी की मौत नशा करने की वजह से नहीं हुई थी.शोधकर्ताओं का कहना था कि धूम्रपान करने वालों और न करने वालों के मस्तिष्क में भी निकोटिन के प्रभाव से बड़ा बदलाव हो सकता है.लंदन के किंग्स कॉलेज़ में 'नेशनल एडिक्शन्स सेंटर' के डॉ जॉन स्टैप्लेटन का कहना है,"यदि लंबे समय तक निकोटिन दिन में कई बार शरीर के अंदर जाए तो यह बहुत ही आश्चर्य की बात होगी कि दिमाग में बड़े परिवर्तन न दिखाई पड़ें."उन्होंने कहा,"लेकिन अभी यह पता करना बाक़ी है कि क्या ये परिवर्तन किसी भी स्तर पर धूम्रपान की आदत पड़ने या एक बार आदत छूटने के बाद भी फ़िर से धूम्रपान के लिए ज़िम्मेदार हैं."
शोधकर्ताओं के अनुसार ये बदलाव धूम्रपान छोड़ने के लंबे समय के बाद भी दिखाई पड़ सकते हैं.
'धूम्रपान पर रोक से दिल को ख़तरा कम'
धूम्रपान से कई तरह की बीमारियाँ होती हैं
एक शोध से पता चला है कि इटली में सार्वजनिक जगहों पर धूम्रपान पर प्रतिबंध लगने के बाद से दिल का दौरा पड़ने वाले लोगों की संख्या में कमी आई है.इटली के पाइडमॉंट इलाक़े में ये अध्ययन किया गया है. विशलेषण के मुताबिक प्रतिबंध लगने के बाद पहले पाँच महीनों में, दिल का दौरा पड़ने के चलते अस्पताल में भर्ती होने वालों की संख्या में पिछले साल के मुकाबले 11 प्रतिशत की कमी आई है.
अध्ययन करने वाली टीम ने यूरोप की पत्रिका हार्ट जर्नल में लिखा है कि ऐसा 'पैसिव स्मोकिंग' में कमी आने से हुआ है. पैसिव स्मोकिंग से प्रभावित होने वाले वे लोग होते हैं जो धूम्रपान नहीं करते पर आस-पास हो रहे धूम्रपान के चलते धुँए का शिकार हो जाते हैं.इटली की सरकार ने 2005 में ऐसी सभी सार्वजनिक जगहों पर धूम्रपान पर रोक लगा दी है जो अंदर हैं जैसे कैफ़े, बार और रेस्तरां.
आयरलैंड, नॉर्वे, दक्षिण अफ़्रीका और स्वीडन में भी ऐसा ही प्रतिबंध लागू है.
'ख़तरा कम'
साँस की बीमारी और फ़ेफ़डे के कैंसर समेत कई ऐसी बीमारियाँ हैं जिनका संबंध धूम्रपान से है.
इटली में टयूरिन विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने पाइटमॉंट इलाक़े में दिल का दौरा पड़ने के बाद भर्ती होने वाली मरीज़ों की संख्या का अध्ययन किया है.साथ ही उन लोगों का भी जिनकी भर्ती होने के बाद मौत हो गई.ये अध्ययन धूम्रपान पर प्रतिबंध लगने के बाद के समय-फऱवरी 2005 से जून 2005 में किया गया. शोध 60 वर्ष से कम उम्र वाले लोगों पर हुआ.शोधकर्ताओं ने पाया कि प्रतिबंध लगने का बाद दिल के दौरे के 832 मामले सामने आए जबकि पिछले वर्ष इस दौरान 922 मामले हुए थे. यानी 11 फ़ीसदी की गिरावट.उधर ब्रिटिश हार्ट फ़ाउंडेशन के रुआरी ओ कॉनर ने कहा कि इस अध्ययन पर हम सतर्कता से प्रतिक्रिया दे रहे हैं लेकिन ये ज़रूर लग रहा है कि धूम्रपान से जुड़ी ऐसी नीतियाँ का दिल के दौरे के मामलों पर असर हो सकता है.लेकिन हॉर्ट जनरल पत्रिका में छपे एक अन्य लेख में धूम्रपान पर लगी रोक को लेकर आलोचना भी की गई है.
अप्रत्यक्ष धूम्रपान से आँख को ख़तरा
ब्रिटेन में उम्र से प्रभावित होने वाली आँख की बीमारियों के क़रीब पाँच लाख मरीज़ हैं ब्रिटेन में एक शोध में कहा गया है कि धूम्रपान करने वालों के धुएँ का शिकार होने वाले लोग भी अंधेपन की एक सामान्य कारण का शिकार हो सकते हैं यानी अप्रत्यक्ष धूम्रपान नज़र के लिए बेहद ख़तरनाक साबित हो सकता है.कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के एक दल ने उम्र बढ़ने के साथ होने वाली नज़र समस्या का संबंध धूम्रपान के असर के साथ जोड़कर देखने के लिए अध्ययन किया जो नेत्र विज्ञान की ब्रितानी पत्रिका में प्रकाशित हुआ है.शोध से नतीजा निकला है कि धूम्रपान करने वाले के साथ पाँच साल तक रहने से अंधेपन का ख़तरा बढ़ जाता है और लगातार धूम्रपान करने से यह ख़तरा तीन गुना बढ़ जाता है.
वैज्ञानिकों का कहना है कि यह अध्ययन इस बात को और पक्का करता है कि सार्वजनिक स्थलों और दफ़्तरों आदि में धूम्रपान पर पूर्ण रूप से रोक लगाई जाए.पहले ही शोधों से पता चलता है कि धूम्रपान नज़र की समस्याओं का ख़तरा बढ़ाता है लेकिन इस ताज़ा अध्ययन ने यह भी साफ़तौर पर साबित कर दिया है कि अप्रत्यक्ष धूम्रपान भी उतना ही ख़तरा पैदा कर सकता है.उम्र के साथ होने वाली नज़र की समस्या आमतौर पर 50 साल की उम्र पार करने के बाद होती है. धूम्रपान रैटिना के केंद्रीय हिस्से पर असर डालता है जो पढ़ने, कार चलाने वगैरा में बहुत ज़रूरी होती है.हालाँकि ऐसी बात नहीं है कि इससे हमेशा ही अंधेपन का ख़तरा हो. ब्रिटेन में उम्र के साथ नज़र की समस्या से क़रीब पाँच लाख लोग प्रभावित हैं.

1 comment:

Anonymous said...

bhai har cheez ka asar dimag per hi hota hai.. isme naya kuch nahin hai.. kuch naya karo.. huzoor..