Wednesday, May 20, 2009
'153 के ख़िलाफ़ हैं आपराधिक मामले दर्ज'
'153 के ख़िलाफ़ हैं
आपराधिक मामले दर्ज'
भाजपा के 43 और कांग्रेस के 41 सांसदों के ख़िलाफ़ अपराधिक मामले दर्ज हैं
भारत में हुए पंद्रहवी लोकसभा चुनाव में कम से कम 153 ऐसे सांसद चुने गए हैं जिन के ख़िलाफ़ अपराधिक मामले दर्ज हैं. भारतीय चुनाव प्रक्रिया में सुधार को लेकर काम करने वाले एक ग़ैर सरकारी संगठन 'एसोसिएशन फ़ॉर डेमोक्रेटिक रिफ़ार्म' और 'नेशनल एलेक्शन वॉच' ने एक प्रेस विज्ञप्ति में ये जानकारी दी है.
इन संगठनों के अनुसार ऐसे सांसदों की सबसे ज़्यादा संख्या भारतीय जनता पार्टी में है.
जहाँ भाजपा के 43 सांसदों के ख़िलाफ़ अपराधिक मामले दर्ज हैं, वहीं कांग्रेस 41 सांसदों के साथ इस मामले में दूसरे नंबर पर है. 153 सांसद ऐसे हैं जिनके ख़िलाफ़ अपराधिक मामले दर्ज हैं इनमें से 74 के ख़िलाफ़ गंभीर अपराधिक मामले दर्ज हैं
एसोसिएशन फ़ॉर डेमोक्रेटिक रिफ़ार्म संगठन ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं को पत्र लिख कर अपील की है कि वे इन सांसदों को कैबिनेट में शामिल न करें. प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक - "153 सांसद ऐसे हैं जिनके ख़िलाफ़ अपराधिक मामले दर्ज हैं, इनमें से 74 के ख़िलाफ़ गंभीर अपराधिक मामले दर्ज हैं."
विपक्षी पार्टी भाजपा के अपराधिक मामलों में उलझे 43 सांसदों में से 19 सांसदों के ख़िलाफ़ गंभीर अपराधिक मामले दर्ज हैं जबकि कांग्रेस के 12 सांसदों के ख़िलाफ़ गंभीर अपराधिक मामले दर्ज हैं.
बाहर रखने की अपील
इस अध्ययन के मुताबिक, "अपराधिक छवि वाले ऐसे कई बाहुबली नेताओं को मतदाताओं ने इस चुनाव में ख़ारिज कर दिया है. वर्ष 2004 में लोकसभा के लिए चुने गए पाँच सांसद जिनके ख़िलाफ़ अपराधिक मामले थे, वे इस चुनाव में हार गए हैं."
ऐसे कई बाहुबली नेताओं को जिनकी अपराधिक छवि है मतदाताओं ने इस चुनाव में ख़ारिज कर दिया है. वर्ष 2004 में लोकसभा के लिए चुने गए पाँच सांसद जिनके ख़िलाफ़ अपराधिक मामले थे वे इस चुनाव में हार गए हैं
एसोसिएशन फ़ॉर डेमोक्रेटिक रिफ़ार्म संगठन ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, कांग्रेस पार्टी की अध्यक्ष सोनिया गाँधी और पार्टी के महासचिव राहुल गाँधी को पत्र लिख कर अपील की है कि जिन सांसदों के ख़िलाफ़ अपराधिक मामले दर्ज हैं, उन्हें सरकार में और किसी संसदीय समिति में भी शामिल न किया जाए. भारत में जिन लोगों के खिलाफ़ सिर्फ़ अपराधिक मामले दर्ज हैं उन्हें चुनाव लड़ने से नहीं रोका जा सकता है लेकिन जिन लोगों को अदालत ने दोषी ठहरा दिया हो, वे चुनाव नहीं लड़ सकते.
ग़ौरतलब है कि भारतीय कानून व्यवस्था में एक मामले की सुनवाई में कई बार वर्षों लग जाते हैं.
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