Sunday, March 15, 2009

वीसी का टिकट प्रेम


नातियों की शादी की उम्र में सजा रहें हैं अपना सेहरा ....
सन्दर्भ- वीसी का टिकट प्रेम
राजनैतिक दल के अधिकांश बड़े कद वाले नेतागण अक्सर अपने अनुयायी पैदा करते हैं और छुटभैय्ये नेता भी उनके लिए इसलिए मरने-मारने पर उतारू होते हैं ताकि आगे चलकर एक दिन उनके आका उन्हें प्रमोट करें. छत्तीसगढ़ के सन्दर्भ में देंखें तो राज्य की राजनीति के भीष्म पितामह की उम्र तक पहुँच चुके विद्याचरण शुक्ल को राजनीति में लगभग ५० साल हो गए हैं और इन ५० सालों में उनके साथ रहने वाले ऐसे कई लोग करोरपति,अरबपति बन गए जो अपना परिवार भी चलाने के लायक नहीं थे. खैर हम इनके बारे में बाद में बात करेंगे, हम अपने मुद्दे पर आतें हैं. पार्टी सूत्रों की मानें तो वीसी १९५७ से १९९१ तक लगातार ७ बार सांसद रहे और जब-जब वे सांसद रहे तब-तब वे केंद्रीय मंत्री भी रहे. जानकारों के मुताबिक उनके साथ जितने भी समर्थक रहे सभी पैसे वाले तो बन गए लेकिन नेता नहीं बन पाए जो नेता बनने के चक्कर में रहे वो आज तक चक्कर लगा रहे हैं और अपवाद को छोड़ कोई भी समर्थक आगे नहीं बढ पाया. क्योंकि वीसी ने खुद कभी किसी को ज्यादा प्रमोट नहीं किया और २००९-१० के लोकसभा चुनाव में भी अपने लिए ही टिकट की जुगाड़ में लगें हैं. वीसी की इस ललक को देख एक बुजुर्ग ने टिपण्णी की कि नातियों की शादी की उम्र में वीसी अपना सेहरा सजाने में लगें हैं.

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