Sunday, October 17, 2010

कहाँ जा रही है संस्कृति,

दुर्गा विसर्जन में बज रहा  मीना आ गया तेरा दीवाना...
लोग कई सालों से कहते आ रहे हैं कि संस्कृति खत्म हो रही है. लेकिन मुझे ज्यादा बड़ा कारण नजर नहीं आता था. पर नवरात्रि के अंतिम दिन दुर्गा विसर्जन करने जा रही एक टोली में बजते गानों ने मुझे भी यह सोच्जने पर मजबूर कर दिया कि वाकई संस्कृति खत्म हो रही है. मैंने कई सालों से दुर्गा विसर्जन करने वालों की टोली देखी,पर कभी विसर्जन करने वालों को फूहड़ गाने बजाते नहीं देखा था.लेकिन १७ अक्टूबर को विसर्जन में जा रहे लोग जमकर फ़िल्मी गाँनो का मजा ले रहे थे.माता की विदाई में लोग मीना कहाँ है तेरा दीवाना, तेरे मस्त-मस्त दो नैन, नायक नहीं खलनायक हूँ मै, जैसे न जाने कैसे-कैसे गाने बज रहे थे ? मुझे बड़ी तकलीफ हो रही थी सुनकर पर मै कुछ नहीं कर पाया. क्योंकि उस भीड़ में सिर्फ युवा ही नहीं, बल्कि अधेढ़ और बुजुर्ग और महिलाये भी शामिल थे. गणपति विसर्जन की तरह अब कुछ लोग माता की भक्ति को भी मनोरंजन बना रहे है. देखा जाए तो अब लोगों में

दुर्गा और गणेश बैठने की होड़ सी लग गयी है, आज अधिकांश लोग सिर्फ चंदा-चकारी कर उत्सवों को कैश करने में लगे हैं. थोड़ी देर के मनोरंजन के लिए लोगों ने श्रद्दा- भक्ति को मजाक बना लिया है. देवी-देवताओं के देश में भक्ति के नाम पर इस तरह की करतूत निहायत ही शर्मनाक और निंदनीय है. हे भगवान लोगों को सद्बुद्धि देना.

जय माता दी .

1 comment:

Unknown said...

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