Monday, August 2, 2010

फ्रेंडशिप डे

ये कैसा विरोध?
संस्कृति के नाम पर राजधानी रायपुर में बजरंग दल और धर्म सेना के कार्यकर्ताओं  ने फ्रेंडशिप डे पर जिस कदर दिन भर गुंडागर्दी उसकी हर तरफ निंदा हो रही है. एक सभ्य समाज में इस तरह कि करतूत को दंडनीय अपराध मन गया है.लेकिन खुलेआम मजा लेते इन युवकों पर पुलिस भी मेहरबान दिखी. इस तरह कि घटना हमारे समाज के लिए चिंतनीय है क्योंकि  यह हमारे समाज की देन नहीं है. खुलेआम वे तथाकथित कार्यकर्ता जिस तरह युवतियों से अभद्र व्यहार कर रहे थे युवको को लात घूसों से पीट रहे थे इसका हक़ उन्हें किसने दिया? और तो और लाठी लेकर खड़ी पुलिस भी तमाशाई बनी रही. फ्रेंडशिप डे का इन्तेजार कर रहे  संस्कृती के ये रक्षक सुबह से इस ताक में थे कि कब उन्हें कोई जोड़ा दिखे और वो इसका मजा लें. विरोध दर्ज करा रहे युवकों में ऐसे लोगों कि संख्या ज्यादा थी जो खुद छेड़खानी और नशाखोरी कि गिरफ्त में हैं. हुरदंग कर रहे ऐसे लोगों पुलिस ने सिर्फ खानापूर्ति के लिए गिरफ्तार कर लिया जबकि होना ये चाहिए था कि उन्हें गिरफ्तार कर उन्हें कठोर सजा देनी चाहिए थी. यदि इस तरह गुंडागर्दी करने वालों पर कड़ी नहीं की गई तो उनके हौसले लगातार बड़ते ही जायेंगे और शहर में भाई बहनों का भी एक साथ घूमना खतरनाक हो जायेगा. क्योंकि कौन किस परिस्थिति में कहाँ जा रहा है कहाँ बैठा है इससे उन तथाकथित लोगों को कुछ नहीं  करना है.जो साल के केवल चंद दिन संस्कृति की रक्षा का दिखावा करते है. यदि इन तथाकथित कार्यकर्ताओं को संस्कृति का इतना ही ख्याल है तो नंगी फिल्मे क्यों बड़े चाव से देखते है? वो सड़कों पर राह चलती लड़कियों से छेड़खानी क्यों करते हैं? उन्हें इस तरह की हर गन्दी चीजों का विरोध पूरी मजबूती के साथ करना चाहिए. क्या इसके लिए उन्हें अलग से ट्रेनिंग देनी पड़ेगी? संस्कृति के नाम पर इस तरह की मनमानी करने वालो पर कड़ी करवाई करने की जरुरत है

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