Sunday, April 5, 2009

पुलिस थाने में युवक की मौत पर सवाल ?






यह एक आशिक की हत्या या आत्महत्या.


प्यार करने वालों पर पहरा आदिकाल से चला आ रहा है कभी समाज का बंधन तो कभी राजाओं के सिपाहियों का पहरा तो अब इन पर पुलिस वालों का डंडा। हर युग में प्यार करने वालों पर समाज के ताकतवर लोगों की मार पड़ती है। ऐसा ही कुछ हुआ रायपुर के गुढिय़ारी में रहने वाले रवि ब्राह्मणकर के साथ। रवि की थाने में रहस्यमय परिस्थितियों में मौत हो गई। उसकी मौत पर थाने के स्टाफ को तो सस्पेंड कर दिया गया लेकिन क्या थाने के स्टाफ को सस्पेंड करने मात्र से रवि नामक उस युवक के परिजनों को न्याय मिल पाया। इस घटना से उस किशोरी की मन: स्थिति क्या होगी जो रवि से प्यार करती थी। क्या इस घटना के लिए जिम्मेदार किशोरी के परिजनों के खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई नहीं होनी चाहिए? मोबाइल रिपेयर शाप चलाने वाले मध्यमवर्गीय परिवार के युवक रवि अपनी उसी दुकान से परिवार चलाने में भी मदद करता था। चार भाई बहनों में सबसे छोटा था, उसके पिता की पहले ही मौत हो चुकी है। जैसा कि युवा पन में अक्सर होता है वही रवि के साथ भी हुआ। उसे अपने घर के पास ही रहने वाली एक किशोरी के साथ प्यार हो गया। रवि को वह किशोरी भी चाहती थी। यह सिलसिला धीरे-धीरे बढ़ता गया और दोनों का प्यार परवान चढ़ता गया। चार साल से चल रहे इस सिलसिले की जानकारी रवि और उसकी प्रेमिका दोनों के परिजनों को भी थी। लेकिन किशोरी के परिजन इससे ज्यादा ही चिंतित थे। इसी चिंता में उन्होंने 11वीं क्लास में पढ़ रही नाबालिग किशोरी का ब्याह भी तय कर दिया था। विवाह की जानकारी रवि को होने पर दोनों ने एक दूसरे के हो जाने का मन बनाया और घर से भाग गए। घर से भाग जाने से परेशान किशोरी के परिजनों ने किशोरी को वापस बुलाने एक घिनौनी चाल चली जिसमें पुलिस वालों की मदद से रवि के परिजनों को इस विश्वास में लिया गया कि यदि दोनों वापस आ जाएं तो उनकी शादी करा दी जाएगी। किसी तरह मान-मनौव्वल के बाद रवि, किशोरी के साथ सीधे अपने घर पहुंचा। रवि को उसके परिजन सूचना देने के उद्देश्य से सीधे थाने लेकर पहुंचे। कागजी कार्रवाई करने के बाद किशोरी को उसके परिजनों के साथ भेज दिया गया। लेकिन युवक के खिलाफ किशोरी के अपहरण और बलात्कार का जुर्म दर्ज कर उसे हवालात में डाल दिया गया। बताते हैं कि किशोरी को अलग करते समय रवि ने चीख-चीख कर ये बात कही थी कि उससे अलग होकर वह मर जाएगा। बताते हैं कि पुलिसिया पिटाई के बाद भी उसने वही बात दोहराई थी। पुलिस वालों ने हवालात में रखने के बाद उसकी पिटाई भी की। रवि के परिजनों के मुताबिक उन्हें रवि से मिलने तक नहीं दिया गया। रवि द्वारा मर जाने की बात कहना पुलिस वालों के लिए एक प्लस पाईंट बन गया। जैसा कि सूत्र बताते हैं भूखे पेट रवि पर पुलिसिया कहर लगातार जारी रहा। और संभवत: पुलिसिया पिटाई के कारण ही रवि ने दम तोड़ दिया। लेकिन मामले को दूसरा रुप देने के लिए उसके गले में रस्सी का निशान बना दिया और उसे बाथरुम के कमरे में फांसी लगाकर जान देने का मामला बना दिया। थाने के भीतर ये युवक के फांसी लगाकर आत्महत्या किए जाने की खबर सामने आई। युवक की मौत की खबर ने उसके परिजनों को झकझोर कर रख दिया। उसके भाई बहन और मां दौड़ते हुए थाने की तरफ भागे। मोहल्ले के लोग भी थाने के सामने जमा हो गए.थाने के भीतर युवक की मौत से लोगो में काफी आक्रोश फैल गया और पुलिस वालों पर ही पत्थरों से हमला बोल दिया। बताते हैं कि इसके पहले ही थाने के स्टाफ के द्वारा रवि का शव अस्पताल के चीरघर भिजवा दिया गया था। इस बात को लेकर भी लोगों मेें काफी आक्रोश था। दूसरे दिन चीरघर में वीडियो रिकार्डिंग के साथ लगभग पांच से छ: घंटे में रवि का पोस्टमार्टम किया गया। पीएम के बाद शव मोहल्ले लाया गया तो दूसरे दिन भी उसी तरह का तनाव वहां था। मोहल्लेवासियों ने वहां भी पुलिस कर्मियों पर पत्थरबाजी की और तनाव भरे माहौल में किसी तरह रवि का अंतिम संस्कार किया गया।
सुलगते सवाल
0 यदि युवक ने आत्महत्या की तो थाने से रस्सी या आत्महत्या में प्रयुक्त सामान की बरामदगी क्यों नहीं हुई ?
0 क्या गले में पहनने वाले धागे की माला इतनी मजबूत होती है कि कोई उससे फांसी पर लटक सकता है ?
0 युवक को थाने में रखकर उसकी पिटाई क्यों की गई। यदि उसे आरोपी बनाया गया था कि उसे 24 घंटे के भीतर कोर्ट में पेश क्यों नही किया गया ?
0 क्या थाने के स्टाफ को किशोरी के परिजनों द्वारा पैसे दिए गए थे?
0 आत्महत्या किए जाने के बाद बिना सूचना और वीडियोग्राफी और फोटोग्राफ लिए बगैर उसकी लाश अस्पताल क्यों ले जाई गई ?
0 यदि किशोरी नाबालिग थी तो किशोरी के परिजनों द्वारा उसका ब्याह कैसे रचाया जा रहा था?

No comments: