Tuesday, March 31, 2009

महामाया मंदिर महामाया पारा अमिनपारा रायपुर

जय माँ महामाया की

महामाया मंदिर महामाया पारा अमिनपारा रायपुर

माँ महामाया की प्रतिमा

मंदिर में जलते ज्योत एवं

रौशनी से जगमग मंदिर







Monday, March 30, 2009

काली माँ मंदिर आकाशवाणी रायपुर

जय माँ काली
आकाशवाणी स्थित माँ काली मंदिर और चैत्र नवरात्र पर जलते ज्योत




Saturday, March 28, 2009

एक वाल्व से सैकडों बेहाल

एक वाल्व से

सैकडों बेहाल

पढ़े लिखे लोग जागरूक कम, स्वार्थी ज्यादा...

पढ़े लिखे लोग जागरूक कम, स्वार्थी ज्यादा...

किसी ने ठीक कहा है पढ़े लिखे गवांर से अनपढ़ अच्छे.

कहते है कि शिक्षा से जागरूकता आती है लेकिन मेरे ख्याल से शिक्षा से जागरूकता नहीं बल्कि सिर्फ जानकारी बढ़ती है और इस जानकारी का उपयोग शिक्षित व्यक्ति केवल अपने स्वार्थों के लिए करते हैं.क्योंकि यदि इंसान जागरूक होता तो आज हर जगह करप्शन नहीं फैलता.अधिकारी और जनप्रतिनिधि अपनी मनमानी नहीं कर सकते. देश समाज,गावं शहर और गली मोहल्ले में मुसीबत आने पर किसी एक के सामने आते ही दुसरे लोग भी उसका साथ देने सामने आ जातेपर आज ऐसा नहीं है. जिस गति से लोगो ने शिक्षा के क्षेत्र में तरक्की की है उसी गति से समाज का पतन भी शुरू हुआ है.आज शिक्षित होने का मतलब लोग आधुनिकता से लगाते है. पहनावे, ओढ़ावे से शिक्षित या अशिक्षित होने का आंकलन करते हैं. इसी अंधी चाल में वो जानवरों की तरह जीने को मजबूरहै. वे ये नहीं देखते कि हम अपने अधिकारों का सही लाभ ले पा रहें है कि नहीं. यदि कभी कोई ऐसी तकलीफ आ जाए जिससे एक बड़ा वर्ग प्रभावित हो रहा हो. उस तकलीफ से आस-पास के लोगो का जीना मुहाल हो रहा है और वो खुद भी उससे पीड़ित हो तो ऐसी दशा में भी वे सामने नहीं आते.बल्कि वे किसी ऐसे शख्स का इन्तेजार करते है जो उनकी मदद कर सके. जबकि वो खुद उस काम को करने में सक्षम है. लोग जानते सब है किस परेशानी से कैसे निबटना है लेकिन सामने नहीं आना चाहते.क्योंकि वे ये सोचते है कि हमें इस पचड़े पड़ने की क्या जरुरत है. और इसी सोंच के कारण कोई भी सामने नहीं आता और सब बंटे हुए रहते हैं. एकता की इसी कमी का फायदा अधिकारी और जनप्रतिनिधि उठाते है. उन्हें पता रहता है कि लोगों में एकता तो है नहीं वे क्या करेंगे. और इसी का फायदा उठा कर वे लोगों को अभावों में जीने को मजबूर कर देते है. अभावों और दरिद्रता में जीने के लिए वो खुद (आम आदमी) जिम्मेदार है. क्योंकि यदि जिस समय परेशानी या तकलीफ हुई थी उसी समय लोगो द्वारा प्रबलता से उसका विरोध किया गया होता तो आज ये नौबत नहीं आती.

अनपढ़ ज्यादा समझदार

मैंने महसूस किया कि पढ़े-लिखे लोगों से अनपढ़ लोगों में जागरूकता अधिक होती है. यदि आप किसी मामले पर सामने आएंगे तो वो बिलकुल आपके साथ खड़े होंगे. जबकि पड़े लिखे लोगों में एक अनजाना झिझक रहता है. उनमे बोलने का लहजा भले ही न हो लेकिन वे अपनी बातों को खुलकर बोल तो सकते हैं. किसी मामले में वे अपना विरोध तो दर्ज करा सकते हैं. अपने हितों कि रक्षा के लिए वे पड़े-लिखे लोगों से ज्यादा तत्पर रहतें है.


पानी के लिए तरसते लोग दुबके रहे घरों में ( एक उदाहरण)


गर्मी का दिन था.२४ घंटे से नल में पानी नहीं आ रहा था. जिस एरिया में नल नहीं आ रहा था वहां एक-दो घरों को छोड़ सब सरकारी नल पर निर्भर थे.पानी नहीं आने के बाद भी इतनी बड़ी आबादी वाले एरिया में पूरी तरह सन्नाटा था.ऐसा लग रहा था सब कुछ ठीक है.लेकिन वास्तविकता कुछ और थी.सब इस अपने घरों में इस सोंच में बैठे थे कि पानी कहाँ से आएगा. सरकारी नल पर निर्भर लोगो को ये भी पता नहीं था कि नल क्यों नहीं आ रहा है. बाद में पता चला कि नल खोलने वाले ने वाल्व तोड़ डाला है और उसकी शिकायत भी कर दी थी. लेकिन दुसरे दिन तक वो नहीं बना था.पर कोई बोलने वाला ही नहीं. मोहल्ले का सन्नाटा देख मुझे लगा सबने कहीं न कहीं से पानी का इंतजाम कर लिया होगा. मैंने फिर हालत को देखते हुए अपने माध्यम से एक टैंकर मंगवाया. घर के सामने टैंकर के आकर खड़े होते ही बमुश्किल दो मिनट के भीतर वहां लोगों का जमावाडा हो गया. किसी तरह मैंने भी घर के लिए पानी का इंतजाम कर लिया. और आस-पास के लोग भी पानी लेकर चल दिए. टैंकर से पानी लेने वालों में डॉक्टर.इंजीनियर,ट्रांसपोर्टर और स्टुडेंट सभी तरह के लोग सामिल थे.लेकिन वहां इकठ्ठा हुए लोगों ने ये पता नहीं लगाया कि नल क्यों नहीं आया वो इस बात से खुस दिख रहे थे कि अभी का इंतजाम हो गया. किसी तरह सुबह का समय तो बीत गया. इस उम्मीद थी कि दोपहर का नल आ जायेगा. लेकिन वाल्व उस समय तक नहीं बना था. फिर पानी नहीं लेकिन पानी आने के बाद चहल- पहल दिखने वाले एरिया में फिर वही सन्नाटा. मैंने फिर सम्बंधित लोगों को फ़ोन लगाया. काफी मशक्कत के बाद किसी तरह वाल्व ठीक हुआ. लेकिन लोगों का इस बात का आज तक पता नहीं चला कि नल में पानी क्यों नहीं आया था ? लेकिन क्या नल नहीं आने के कारणों और उसके निबटारे का हल एक अकेले को ही करना था कि सबको इसके लिए आगे आना चाहिए था?

Friday, March 27, 2009

जागो हिन्दुस्तान क्या सोच रहा ...



27 मार्च हिंदु नववर्ष पर

जागो हिन्दुस्तान

क्या सोच रहा ...

पाक के अखबार
डेली एक्सप्रेस में
प्रकाशित भारत
का नक्शा क्या
बयां करता है?

शांति दूत माना जाने वाला भारत कितनी भी उदारता पड़ोसी देश के प्रति दिखाए लेकिन इसके बावजूद ऐसा लगता है कि वहां के नेताओं और अधिकारियों के मन में भारत के प्रति जो भाव हैं वह कभी बदल नहीं सकते। यह हम आपको सिर्फ इस आधार पर नहीं बता रहे हैं कि मुंबई हमले के बाद सबूतों के मामले में पाकिस्तान का रवैया भारत के खिलाफ सहयोगात्मक नहीं हैऔर वह लगातार अपने बयानों से पलट रहा है, बल्कि मुंबई में 26 नवंबर को हुए हमलों के ठीक बाद पाकिस्तान से प्रकाशित 16 पेज के एक दैनिक अखबार डेली एक्सप्रेस में भारत क ा एक नक्शा प्रकाशित किया गया है। जिसे एक मुस्लिमों के संगठन तालिबा द्वारा जारी करने की बात उस अखबार में कही गई है। डेली एक्सप्रेस में प्रकाशित हमारे वतन के नक्शे के साथ जो कल्पना की गई है उसे देखकर ऐसा लगता है कि पाकिस्तान के भीतर भारत के खिलाफ कोई गंभीर साजिश चल रही है जिसका प्रचार के लिए वे मीडिया कोमाध्यम बना रहे हैं, भले भी वो इसमें कामयाब ना हों। लेकिन यदि पाक के भीतर चल रहे इन मंसूबों की इसी तरह लगातार अनदेखी की जाती रही तो कहीं ऐसा ना हो कि आने वाले समय मे भारत को इसकी बड़ी कीमत चुकानी पड़ जाए। क्योंकि वर्तमान में पाक में जो हालात अब बने हुए हैं उससे कभी भी कोई भी बड़ी घटना हो जाए तो कोई बड़ी बात नहीं है। अभी हाल ही में हुए श्रीलंका खिलाडिय़ों पर फायरिंग में पाक की तरफ से भारत को इसका जिम्मेदार बता दिया गया था, भले ही बाद में इस बात की सफाई भी पाक द्वारा दी गई कि भारत का इस हमले में कोई हाथ नहीं है।
तालिबा का षणयंत्र
पाकिस्तान के लाहौर से बुधवार तीन दिसंबर 2008 को प्रकाशित उर्दु अखबार डेली एक्सप्रेस की हम बात करें तो 16 पेज के इस अखबार के 8 नंबर पेज की दांईं ओर निचले हिस्से पर दो कालम में भारत के नक्शे की दो अलग-अलग तस्वीरें प्रकाशित की गई हंै। एक तस्वीर 2012 में भारत और दूसरी तस्वीर 2020 में भारत। उन तस्वीरों के नीचे उर्दु भाषा की दो लाईनें भी लिखी हुई हैं। उर्दु जानने वालों के मुताबिक इसमें इस बात का उल्लेख है कि इन वर्षों में भारत के नक्शे में पाक का कौन सा हिस्सा प्रवेश कर जाएगा और उसका नाम क्या होगा साथ ही उस अखबार में यह भी उल्लेख है कि उसे वहां के शिक्षित संगठन तालिबा द्वारा इंटरनेट पर जारी किया गया है। लेकिन यह नहीं बताया गया है कि उनके साइट का पता क्या है जिससे इसपर भी संदेह होता है। इस नक्शे को देखकर यदि भारत ने कोई कदम इसे जारी करने वालों के खिलाफ नहीं उठाया तो यह करोड़ों देशवासियों की भावनाओं पर कुठाराघात होगा। तालिबान जिस तरह पाक के स्वात पर कब्जा कर भारत की ओर निगाहें जमाए हुए है इससे ऐसा लगता है कि आने वाला समय भारत की सुरक्षा के लिए काफी अहम होगा और भारतीय सीमा पर तैनात जवानों से जरा भी चूक हुई तो कोई बड़ी घटना भी हो सकती है जिससे देश की सुरक्षा को भी खतरा हो सकता है।
भारतीयों की भावनाओं से खिलवाड़-
पाकिस्तानी अखबार में प्रकाशित इस नक्शे ने भारत का जैसा स्वरुप दिखाया है वह ना सिर्फ भारत देश का अपमान है बल्कि यहां की सौ करोड़ जनता की मानसिकता को प्रभावित करने वाला भी है। यह भी गौरतलब है जब भारत और पाकिस्तान के बीच हालात ठीक नहीं हैं मुंबई हमलों को लेकर दोनो देशों के नेताओं के बीच परस्पर विरोधी बयान जारी किए जा रहे हैं ऐसे समय में पाकिस्तान की किसी संगठन द्वारा इस तरह का प्रचार-प्रसार करना किस बात की तरफ ईशारा करते हैं यह आम भारतीयों को बताने की जरुरत नहीं है। सूत्रों की मानें तो डेली एक्सप्रेस पाकिस्तान की एक नामी अखबार है जिसकी घुसपैठ पाकिस्तान की राजधानी के हर खासो आम के बीच है। मुंबई में हुए हमले के ठीक सातवें दिन इस नक्शे को प्रकाशित करना भारत की अस्मिता को ठेस पहुंचाने वाला है। यदि ऐसी गंदी मानसिकता का भारत के द्वारा विरोध नहीं किया गया और भारत के नक्शे के साथ खिलवाड़ करने वालों के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर उसे नजरअंदाज किया गया तो यह हम भारतीयों के लिए गहन चिंता का सबब होगा।
ताकि हर भारतीय खड़ा हो देश की खातिर
इसेे लेख को प्रकाशित करने का एकमात्र उद्देश्य यह है कि पड़ोसी देश में रहने वाले लोगों के दिमाग में हमारे प्रति किस तरह की सोच काम कर रही है,और हर भारतीय इस तरह की नापाक इरादों वाले चाहे वो कोई देश हो या कोई भी व्यक्ति उसके विरोध में कभी भी खड़ा हो जाए और अपने देश की आन बान और शान की रक्षा के लिए हमेशा तैयार रहे। प्रत्येक भारतीयों को आज विदेशी संस्कृति का विरोध करने से पहले देश के अंदर घुसपैठ कर रही ऐसी शातिर ताकतों से निपटने के लिए तैयार रहना होगा जिससे पूरे देश को खतरा है। मुंबई, दिल्ली, कलकत्ता, और दुसरे बड़े महानगरों में विस्फोटों के माध्यम से जो खौफ आंतकवादी पैदा कर रहे हैं उन पर लगाम लगाने के लिए देश की सुरक्षा एजेंसियों को ही नहीं बल्कि देश के हर नागरिक को तैयार रहना होगा।

















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awaaz: जागो हिन्दुस्तान क्या सोच रहा ...

awaaz: जागो हिन्दुस्तान क्या सोच रहा ...

नैनो के लिए अब नहीं तरसेंगे नैना


रायपुर नगर निगम २००९-१० का बजट


रायपुर विकास प्राधिकरण का २००९-१० का बजट

रायपुर विकास प्राधिकरण का २००९-१० का बजट

छत्तीसगढ़ का २००९-१० का बजट

छत्तीसगढ़ का २००९-१० का बजट

हवा में न लें हवाई हमले की चेतावनी


पूर्व विधायकों को सांसद बनाने की तैयारी


क्षमता से अधिक हैं कैदी ...


Thursday, March 26, 2009

सेक्स की इस मंडी पर कौन लगायेगा लगाम...

सेक्स की इस मंडी पर कौन लगायेगा लगाम...

इन्टरनेट पर कौमार्य नीलाम कर रही विदेशी बालाएं

महानगरों और बड़े शहरों में चलने वाले सेक्स के अड्डे पर पुलिस और कानून का डंडा चलता रहता है जिससे जिस्मफरोशी का धंधा करने वालें लोग बिंदास तरीके से काम नहीं कर सकते. पकड़ में आने पर ऐसे लोगो के खिलाफ कड़ी कारवाई की जाती है लेकिन इन्टरनेट पर हर हफ्ते कोई न कोई अपने जिस्म का सौदा कर रहा है लेकिन ऐसे लोगों पर नजर रखने वाले शायद कोई नहीं है. इन्टरनेट पर न्यूज़ पेपर की वेब साईट सर्च करते-करते पिछले कुछ दिनों से मेरी नजरें ऐसे ख़बरों पर पड़ी जिसमे कथित तौर पर किसी महिला द्वारा अपने कौमार्य की नीलामी का प्रचार करने की जानकारी दी गयी थी. इस तरह की खबरें पिछलें एक माह में कई महिलाओं और बालाओं द्वारा जारी की गयी है. इन ख़बरों को पड़कर यह लगा की सेक्स की ये तो नई दुकान सज रही है वो इतना हाई-टेक की करोरों-अरबों मील दूर बैठे लोगों को पल भर में ये उपलब्ध हो जाएँगी. इन्टरनेट पर कोई भी अपने कौमार्य की नीलामी कर रहा है. कोई एक रात की कीमत बता रहा है तो कोई एक दिन तो और कोई डेटिंग की, कोई करोरों में तो कोई अरबों में. यह तो तय करता है की कौमार्य किसका है. कौमार्य किसी का भी हो लेकिन क्या कोई इस तरह खुले आम अपने शरीर का सौदा कर सकता है. और कोई इस तरह की नीलामी की पब्लिसिटी करता है तो ऐसी बालाओं पर कारवाई करने की जिम्मेदारी किसकी है ? क्या इस तरह से चालू हो रहे जिस्मफरोशी के नए धंधे पर रोक लगाने की पहल किसी को नहीं करनी चाहिए ? यदि इस पर अभी से लगाम नहीं लगाया गया तो इसकी चपेट में पूरी दुनिया को आते देर नहीं लगेगी.

लालू ने चलाई रहत की रेल

लालू ने चलाई रहत की रेल
लालू ने पेश किया रेल बजट 2009-10 का

तोर मोर टक्कर होही सबले बढ़िया


Sunday, March 22, 2009

जेड गुडी ने मौत के पहले जी ली जिंदगी

जेड गुडी ने मौत के

पहले जी ली जिंदगी

मरने के पहले सिखा गई जीना

27 साल की उम्र में ही उसने दुनिया को अलविदा कह दिया। 27 बसंत देखने वाली जेड गुडी ने मरने से पहले लोगों को जीने की कला सिखा दी और लोगों को यह सीख दे गई कि जिंदगी जिंदादिली का नाम है। दुनिया में ऐसे बिरले ही लोग होंगे जिन्हें अपनी मौत के बारे में पता होगा और वे यह जानते होंगे कि कब इस दुनिया को अलविदा कहने वाले हैं मैनें ऐसे दो लोगों के बारे में देखा और सुना है जिनमें एक था आनंद और दूसरी जेड गुडी। आनंद की मौत से पहले की जिंदगी देखकर लोगों की आंखों में आंसू आ ही जाते हैं क्यों कि वो 70 के दशक की भारतीय सिनेमा की एक सुपरहिट मूवी थी जिसमें सुपरस्टार राजेश खन्ना ने आनंद की भूमिका को हमेशा के लिए अमर कर दिया। लोग आज भी उस भूमिका और अदाकारी को देख भावुक हो उठते हैं। खैर वो तो फिल्म थी लेकिन जेड गुडी कोई फिल्म नहीं थी,बल्कि धरती और आकाश की तरह ही सौ फीसदी सच थी। रियलिटी शो बिग ब्रदर और बिग बास से चर्चा में आई बिट्रिश अदाकारा जेड गुडी को अपनी इतनी छोटी सी उम्र में पता चल गया था कि वह सर्वाइकल कैंसर से पीडि़त है और इस दुनिया में वह बस चंद दिनों की मेहमान है। यह सब जानने के बाद दो बच्चों की मां जेड के लिए यह इतना आसान नही था लेकिन इसके बाद भी उसने हिम्मत नही हारी और बचे हुए दिनों में उसने अपनी हर वो ख्वाहिश पूरी करने की कोशिश की जो वह जिंदा रहकर करना चाहती थी। बिग बास में हिस्सा लेने भारत आईं गुड़ी को शो के दौरान ही पता चला कि उसे एक ऐसी बीमारी है जो कभी भी उसकी जान ले सकती है। पिछले 7 माह से जिंदगी और मौत के बीच झुलती जेड गुडी जिस तरह से मीडिया के बीच चर्चा में रही वैसा अब 22 मार्च के बाद नहीं होगा। जेड भले ही आज इस दुनिया से विदा हो गई लेकिन पिछले 7 माह से जो जिंदगी उसने जी वह अपने आप में एक मिसाल रहेगी। वह पिछले 7 माह से हमेशा खुश रहते हुए पल-पल अपनी मौत का इंतजार करती रही लेकिन उन्होंने किसी को इसका अहसास नहीं होने दिया कि वह मरने वाली है और आखिरकार जेड गुडी ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया। लेकिन जेड गुडी इन महीनों में हंस कर लोगों को जीने की प्रेरणा देती रहीं पर लोगों ने उसे समाचार पत्रों और टीवी चैनल द्वारा दिखाई जाने वाली खबरों से ज्यादा महत्व नही दिया लेकिन बावजूद इसके फिल्मों और रिल लाइफ में पात्र के दु:ख से दु:खी होने वाले लोगों की संख्या रियल लाइफ में रियल आर्टिस्ट की मौत पर दु:खी होने वालों की संख्या से कम नहीं थी।

जेड गुडी बच्चों के लिए छोड़ गई है 40 लाख पाउंड

जेड गुडी भले ही चली गई हो, लेकिन वह अपने बच्चों के फ्यूचर के लिए पूरे चालीस लाख पाउंड छोड़ गई है। अपने अंतिम दिनों को गुडी ने इस तरह मैनिज किया था कि उसका हर पल खासी बड़ी रकम दे गया। उसने मैगजीन और टीवी के साथ बड़े कॉंट्रेक्ट कर अपने बच्चों बॉबी और फ्रेडी के बेहतर जीवन के लिए साधन मुहैया करा दिए। गुडी चाहती थी कि उसके बच्चों को किसी का मोहताज न होना पड़े। इसके लिए वह कोई भी कीमत चुकाने को तैयार थी। गुडी चाहती थी कि बॉबी किसी प्राइवेट स्कूल में पढ़े। वह अपनी सारी जमापूंजी बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए ही लगा देना चाहती थी। जेड गुडी वह दिन अक्सर याद किया करती थी जब बॉबी स्कूल की ड्रेस पहन कर घर से निकला था : मैं उसे क्लास रूम में छोड़ते वक्त अपने आंसू नहीं रोक पाई। वह तो अपनी प्यारी-सी छोटी कुर्सी पर बैठ गया और मासूम आवाज में बोला-अब तुम जाओ ममा, रोओ मत। मुझे मां होने का सुख तब सबसे बड़ा लगा था।

जेड की जिन्दादिली को सलाम.

भगवान जेड की आत्मा को शांति प्रदान करें.

Thursday, March 19, 2009

cricket stadium raipur chhattisgarh




क्रिकेट स्टेडियम परसदा न्यू रायपुर


आस्ट्रेलिया के मेलबोर्न और कलकात्ता के इडन-गार्डन बाद एरिया में तीसरा बड़ा स्टेडियम
कैपसिटी - ६५ हजार
लागत - ९९ करोर रुपए
पिच - ९ मैच पिच, ३ प्रेक्टिस पिच,

स्कोरबोर्ड- इलेक्ट्रॉनिक डिसप्ले.
फ्लड लाइट- ६ हाईमास्ट

टिकट प्लाजा - ११
कारपोरेट बॉक्स- ४०
सोना स्टीम बाथ- २
रेस्टारेंट- 1
एरिया - ५० एकड़

मीडिया सेंटर - सबसे बड़ा मीडिया सेंटर - लगभग २५०-३०० मीडिया कर्मियों के बैठने की व्यवस्था.
पार्किंग - ६ हजार चार पहिया & दो-पहिया & साइकिल
कैसे पहुंचे - हावड़ा-मुंबई ट्रेन,रायपुर(माना) एअरपोर्ट, वीआइपी के लिए स्टेडियम के पास हेलीपेड.

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Wednesday, March 18, 2009

just imagine


बड़े नेताओं पर हमले की संभावना...


पांच चरणों में चुनाव


baj gaya bigul


Belem Tower


lovely


Statice


OceanPark-Jellyfish


wonderfull view


loveisign


its balance


primula


loving birds


In the ‘Caldera de Taburiente’crater


Lighthouse to mark the joining of the ocean and Tagus River


Heading towards the Timanfaya National Park


wsnow


its dog walk


cangaroo


Flowers of palm tree


Flowers of a palm tree


Blue Agapathus opening


Beautiful sandy beach in Tenerife


kali


bee on blu


Tuesday, March 17, 2009

वायु की रफ़्तार में युवा...


वायु की रफ़्तार में युवा...
कम समय में बहुत कुछ करने की चाह
कॉम्पिटिशन के इस दौर में हर कोई बहुत कम समय में बहुत ज्यादा पाने की चाहत रखता है.इस दौड़ में युवा वर्ग सबसे ज्यादा आगे है. इन्हें कैरिअर बनाने से पहले ही ऐसो-आराम, bike में घुमने की चाहत, मंहंगे मोबाइल का शौक और दूसरी चीजों का ग्लेमर आकर्षित कर लेता है. जो आज के युवाओं को गलत रास्ते में धकेल रहा है. गलत रास्ते में जाने वाले युवाओं में कोई खास वर्ग नहीं बल्कि हर वर्ग का यूथ शामिल है. अपने शौक के लिए बुराई के रास्ते पर जाने से इन्हें कोई परहेज नहीं है. वह ये भी जानता है कि आने वाले समय में वह पकड़ा गया तो उसके साथ क्या होगा उनके परेंट्स उसके बारे में क्या सोचेंगें. लेकिन इन सब बातों की अनदेखी करते हुए अपनी मनमानी करते रहतें है और इसी मनमानी की रफ्तार में वह इतना आगे निकल जाता है कि उसे अपने कैरिअर के बारे में सोचने का वक्त ही नहीं मिल पाता. और जब अपने कैरिअर के बारे में सोचता है तो वह भविष्य को लेकर सशंकित हो जाता है. और असफलता के डर से कभी-कभी ऐसा कदम भी उठा लेता है जो उसके अस्तित्व को मिटा कर रख देता है.
शार्ट कट से सफलता नहीं...
समय की सबसे बड़ी मांग है सफलता,लेकिन सफल होना इतना आसान नहीं है जितना सफल व्यक्ति को देखने से लगता है.शार्ट कट कभी भी सफलता की सीढ़ी नहीं है.सफल होने के लिए अथक मेहनत,धैर्य और दृढ़ इच्छाशक्ति की जरुरत होती है.जिस तरह खरा सोना बनने के लिए आग से तपकर बाहर निकलना पड़ता है उसी तरह सफल होने के लिए भी हर परीक्षा पार करके मंजिल तक पहुचना पड़ता है.इसलिए समय की मांग है कि अपने कैरिअर बनाने के लिए लक्ष्य का निर्धारण कर उसे पाने के लिए उसी दिशा में आगें बढें भले ही प्रारंभ में कुछ दिक्कतें आ सकती हैं लेकिन उनसे घबराने की बजाय उनका डटकर मुकाबला करें और तब तक लगें रहें जब तक मंजिल तक न पहुच जाएँ.

तुम्हारे ६ तो हमारे ८